Liquor Prices: भारत में शराब की कीमतों में अंतर राज्य-दर-राज्य आधार पर काफी अलग देखने को मिलती है. इस विविधता का मुख्य कारण है उत्पाद शुल्क में भिन्नता जो कि प्रत्येक राज्य सरकार द्वारा निर्धारित की जाती है. हाल के आंकड़ों के अनुसार कर्नाटक ने शराब पर अपने उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी की है जिससे यहाँ की शराब की कीमतें सबसे अधिक हो गई हैं.
उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी के पीछे के कारण
शराब पर उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी आमतौर पर राज्य सरकारों द्वारा राजस्व बढ़ोतरी के लिए की जाती है. इसके अलावा शराब उत्पादकों की बढ़ती उत्पादन लागत (increasing production costs) और महंगाई के कारण भी इसकी कीमतों पर असर पड़ता है. इसके साथ ही शराब की बढ़ती मांग भी कीमतों को बढ़ाने का एक कारण हो सकती है.
कर्नाटक के नीतिगत निर्णय
कर्नाटक सरकार ने हाल ही में शराब पर उत्पाद शुल्क में 20% की बढ़ोतरी की है. इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य है राज्य की आय में बढ़ोतरी और शराब के सेवन में कमी लाना. इस वृद्धि के कारण कर्नाटक में प्रीमियम शराब ब्रांड के दाम काफी बढ़ (premium liquor cost in Karnataka) गए हैं.
अन्य राज्यों की स्थिति
कर्नाटक के अलावा, तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे राज्य भी शराब के मामले में काफी महंगे हैं. इन राज्यों में भी सरकारें शराब पर ज्यादा उत्पाद शुल्क लगाती हैं जबकि गोवा जैसे राज्य में शराब की कीमतें कम (lower liquor prices in Goa) होती हैं.
शराब की कीमतों का सामाजिक असर
शराब की कीमतें बढ़ने से समाज पर कई तरह के प्रभाव पड़ते हैं. महंगी शराब के कारण कुछ लोग इसका सेवन कम कर सकते हैं वहीं इसकी कीमतें बढ़ने से अवैध शराब का कारोबार (increase in illegal liquor trade) भी बढ़ सकता है. इसके अलावा, उत्पाद शुल्क की वृद्धि से राज्य सरकार की आय में भी इजाफा होता है जो कि अन्य सामाजिक योजनाओं के लिए पैसे का स्रोत बन सकता है.