भारत में खेती और पशुपालन की परंपरा पुरानी है।यहाँ किसा खेती और पशुपालन करके अच्छा मुनाफा कमाते है।इसी वजह से कई नस्लों की गायो और भैसे देश भर में खूब पाला जाता है,जिससे उनके दूध से अच्छा लाभ कमा सके।गाय और भैस की कई प्रजातिया ज्यादा दूध देती है। ये नस्ले डेयरी उधोग के लिए बेहद उपयोगी है।भैस का दूध ज्यादा पसंद किया जाता है।अधिकतर डेयरी में भेस पालन पसंद करते है।ऐसे में अगर आप भी भैंस पालन के जरिए अपना डेयरी बिजनेस शुरू करना चाहते है तो आपको भैस की दो ऐसी नस्लों के बारे में बताएगे जो आपको मोटा मुनाफा देगी।यह भैस की मुर्रा और जाफराबादी नस्ल है तो आइए जानते है इन भैस को बारे में
मुर्रा नस्ल की पहचान और विशेषताए
यह विश्व की सबसे अच्छी भेस की दुधार नस्ल है।यह भैस भारत के सभी क्षेत्रों में पायी जाती है,लेकिन अधिकतर इसका पालन दिल्ली,पंजाब और हरियाणा में किया जाता है।भेस की इस नस्ल के सिग घुमावदार होते है।इसका रंग काला होता है।इस भेस का सिर और पूछ लंबी होती है।साथ ही इसका पिछले हिस्सा सुविकसित होता है।इस भेस का सिर पूछ और पैर सुनहरे रंग के बाल भी मिलते है।मुर्रा भेस की गर्भावधि लगभग 310 दिन की होती है। ये भेस हर दिन में 20 से 30 लीटर तक दूध दे सकती है।

जाफरवादी भेस की पहचान और विशेषताए
जाफरवादी भैसो का रंग आमतौर पर काला होता है लेकिन ये आपके ग्रे कलर की भी देखने को मिल सकती है।इसके शरीर का आकर अन्य नस्लों की भैसो की तुलना में काफी बड़ा और मजबूत होता है।इसके सींग लम्बे और घुमावदार होते है। इस भेस के माथे पर सफेद निशान होते है जो इसकी असली पहचान मानी जाती है। यह भेस रोजाना 20 से 30 लीटर दूध दे सकती है ,जबकि एक ब्यांत में ये भेस 1800 से 2000 लीटर दूध देती है। इसके शरीर का औसत वजन 750 -1000 किलोग्राम तक होता है।
कौन भैस देती है ज्यादा दूध ??
भैस की ये दोनों नस्ले एक से बढ़कर एक है।अगर इनकी दूध उत्पादन क्षमता की करे तो जाफरबादी भैस रोजाना 20 से 30 लीटर दूध देने की क्षमता रखती है।जबकि मुर्रा भैस भी हर दिन 20 से 30 लीटर तक दूध दे सकती है।दूध देने के मामले में दोनों भेसे अव्वल है,ऐसे में आप किसी भी भैस का चयन कर सकते है।