Rid Of Parali: खेती के सीजन के बाद भारतीय किसानों के लिए पराली सबसे बड़ी समस्या बन जाती है. परंतु अगर सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो यही पराली खेतों के लिए वरदान साबित हो सकती है. इस लेख में हम बताएंगे कि कैसे पराली को खेत में ही खाद में बदलकर आपके खर्च को कम किया जा सकता है और आपकी अगली फसल के लिए यह कितनी लाभकारी हो सकती है.
कम लागत में खाद बनाने की प्रक्रिया
किसान अब खेत में ही पराली को सड़ाकर कम लागत में खाद बना सकते हैं. इस प्रक्रिया को अपनाने से न केवल उत्पादन लागत में कमी आती है बल्कि मिट्टी की उर्वरता में भी बढ़ोतरी होती है. कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर के कृषि विशेषज्ञ डॉ. एनपी गुप्ता के अनुसार यह प्रक्रिया न केवल आसान है बल्कि किफायती भी है जिससे यह किसानों के लिए और भी आकर्षक बन जाती है.
पराली से खाद बनाने की तकनीकी
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार नाइट्रोजन (Nitrogen Fertilization) का छिड़काव कर पराली को केवल एक सप्ताह में खाद में परिवर्तित किया जा सकता है. इस प्रक्रिया से मिट्टी में जरूरी पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे अगली फसल के लिए मिट्टी अधिक उपजाऊ हो जाती है.
मिट्टी की उर्वरता में बढ़ोतरी
लगातार 3-4 वर्षों तक पराली का निस्तारण करने से मिट्टी में जैविक कार्बन (Organic Carbon), नाइट्रोजन, फास्फोरस (Phosphorus), पोटाश (Potash), और सल्फर जैसे आवश्यक तत्वों का संचार होता है, जिससे मिट्टी और भी उपजाऊ बनती है.
खर्च में कमी और फसल की गुणवत्ता में सुधार
पराली की खाद बनाने से अगली फसल की बुवाई में कम उर्वरकों की आवश्यकता होती है, जिससे किसानों की खर्च में कटौती होती है और फसल की गुणवत्ता में सुधार आता है. इससे किसानों को उनकी मेहनत का बेहतर परिणाम मिलता है, और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है.