Live In Relationship Law: हाईकोर्ट ने एक शादीशुदा व्यक्ति द्वारा दूसरी महिला के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने पर गहरी आपत्ति जताई है. इस प्रकार के संबंध से उसकी पत्नी और बच्चों को जो नुकसान पहुंचता है, उसे उजागर किया गया. कोर्ट ने इस मामले में व्यक्ति को अपनी पत्नी को मासिक 25 हजार रुपये देने की भी अनुशंसा की.
लिव इन रिलेशनशिप के विरोध में सुनवाई की घटनाएँ
कोर्ट के दौरान यह मामला उठा जब एक लिव इन कपल ने सुरक्षा की मांग की. याचिकाकर्ता ने दावा किया कि व्यक्ति की पत्नी ने उनके घर आकर अव्यवस्था पैदा की और उन्हें परेशान किया (disturbance-in-living-in-relationship). हालांकि, कोर्ट ने पाया कि यह याचिका गलत संबंधों को छिपाने के लिए लगाई गई थी और इसे खारिज कर दिया.
विवाह से बाहर रिलेशनशिप पर जुर्माना
पिछले दिनों कोर्ट ने दो शादीशुदा व्यक्तियों पर 26000 रुपये का जुर्माना लगाया जो लिव-इन रिलेशनशिप (fine-for-living-in-relationship) में रह रहे थे. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि विवाह के बाहर संबंध बनाना व्यक्ति की इच्छा हो सकती है लेकिन इसे विवाहित जीवन के तौर पर मान्यता नहीं दी जा सकती.
लिव इन रिलेशनशिप और विवाह की मान्यता
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि लिव इन संबंधों को विवाह के समकक्ष मान्यता नहीं दी जा सकती है (living-in-relationship-status). अदालतें इन संबंधों पर अपनी नैतिकता नहीं थोप सकतीं और ऐसे संबंध सामाजिक रूप से गलत हो सकते हैं लेकिन आपराधिक नहीं हैं.