खास तथ्य बताते है……
सरसों की खेती में काम आएंगे यह कुछ तथ्य
- सरसों की खेती में बाकी फसलों की तरह ही सिंचाई की जरूरत पड़ती है लेकिन आपको इस बात का खास ध्यान देना होगा की सरसों की खेती में कितनी बार और कब-कब सिंचाई करनी है पानी की मात्रा का अच्छे से ध्यान रखना होगा वरना फसल पूरी तरह से खराब हो सकती है।
- सरसों की फसल की अगर आप सिंचाई करते हैं तो आपको इस बात पर ध्यान देना होगा कि आपको इसकी फसल बोने से लेकर निकलने तक लगभग 4 से 5 बार ही सिंचाई करनी है।
- पहली सिंचाई आपको बुवाई के समय करनी है। दूसरी सिंचाई शाखाएं तैयार होती है उसे समय। तीसरी सिंचाई फूल बनते समय चौथी सिंचाई फली बनते समय इस प्रकार सही समय पर सिंचाई करनी चाहिए।
- आपको दिन को ध्यान में रखते हुए सिंचाई करनी चाहिए पहली सिंचाई कर देने के बाद में आपको लगभग 25 से 30 दिन का गैप देना चाहिए जिसके बाद आपको दूसरी सिंचाई करनी चाहिए। इसके बाद 40 45 दिन बाद आपको तीसरी सिंचाई करनी चाहिए। उसके बाद 70 80 दिन बाद चौथी सिंचाई करनी चाहिए। अगर खेत में पानी की ज्यादा कमी है तो आपको पांचवी सिंचाई 100 से 110 दिन बात करनी चाहिए जब फसल पकने में आ जाए।
- सरसों में सिंचाई करते समय आपको इस बात का खास ध्यान रखना है कि आपको फव्वारा विधि से ही इस फसल में सिंचाई करनी होगी।
- इस प्रकार अगर आप सही-सही समय पर फसल को सही मात्रा में पानी देंगे तो आपको फसल की अच्छी ग्रोथ और इसके दाने मोटे और अच्छा उत्पादन मिलेगा।
- सरसों की फसल को कई प्रकार के कट नुकसान पहुंचाते हैं जिसमें पेंडेंट बग और आरा मक्खी आते हैं। जिसकी रोकथाम के लिए आपको एंडोसल्फान 4% या मिथाइल पैराथियोन 2% चूर्ण की 20 से 25 किलो मात्रा प्रति हेक्टेयर के दर से भुरकाव कर देना चाहिए जिससे फसल बची रहेगी।