Haryana News : हरियाणा के मुख्य सचिव डॉ. विवेक जोशी ने आज बैंकर्स से आह्वान किया कि प्रधानमंत्री जन धन योजना (पी.एम.जे.डी.वाई.) के तहत निष्क्रिय खातों को सक्रिय करने के उद्देश्य से एक विशेष अभियान चलाया जाए। साथ ही, लोगों को अपने बैंक खातों के लिए नॉमिनी बनाने के लिए भी प्रेरित किया जाए।
आज यहां राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी (एस.एल.बी.सी.) की 170वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए, डॉ. जोशी ने ऐसे लाभार्थियों को फिर से जोड़ने पर बल दिया, जिनके खाते लंबे समय से निष्क्रिय हैं।
उन्होंने कहा कि इन निष्क्रिय खातों को सक्रिय करने से खाताधारक पी.एम.जे.डी.वाई. के पूरे लाभ ले सकेंगे और इससे वित्तीय समावेशन के समग्र उद्देश्यों को बढ़ावा मिलेगा।
डॉ. जोशी ने बैंक खातों नॉमिनी न होने के कारण लोगों को पेश आ रही दिक्कतों का हवाला देते हुए बैंकर्स से आह्वान किया कि खाताधारकों की जमा पूंजी को सुरक्षित करने के उद्देश्य से, उन्हें अपने खातों के लिए नाॅमिनी बनाने के लिए बड़े पैमाने पर जागरूक किया जाए ताकि अप्रत्याशित परिस्थितियों में दावा प्रक्रिया को सुचारू बनाया जा सके।
मुख्य सचिव ने कहा कि सरकार की कल्याणकारी योजनाओं और वित्तीय सेवाओं तक पहुंच को सुगम बनाकर समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने में बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने बैंकर्स से हरियाणा के वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने और समावेशी विकास के उद्देश्य से की गई पहलों के प्रभाव को अधिकतम करने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों का आह्वान किया।
उन्होंने बैंकर्स से पीएम सूरज किरण योजना के तहत ऋणों की स्वीकृति और वितरण में तेजी लाने का आग्रह किया। इस योजना का उद्देश्य घरों की छतों पर सौर पैनल लगाकर लोेंगों को मुफ्त बिजली प्रदान करना है।
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार के अलावा, हरियाणा सरकार द्वारा भी उपभोक्ताओं को अतिरिक्त सब्सिडी प्रदान की जा रही है। इसलिए बैंकों को पीएम सूरज किरण योजना के तहत ऋणों को तेजी से मंजूरी देनी चाहिए क्योंकि इन ऋणों को मंजूरी देने में उनका जोखिम न्यूनतम है।
हरियाणा में डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ाने से सम्बन्धित आरबीआई के क्षेत्रीय निदेशक श्री विवेक श्रीवास्तव की बात के जवाब में, मुख्य सचिव डॉ. विवेक जोशी ने बैंकर्स से डिजिटल भुगतान प्रणाली के लाभों और उपयोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए तत्परता से कदम उठाने का आग्रह किया।
डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए, डॉ. जोशी ने प्रदेश भर में जिला सचिवालयों, लघु सचिवालयों और एसडीएम (सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट) कार्यालयों में समर्पित काउंटर स्थापित करने का सुझाव दिया, क्योंकि वहां रोजाना बड़ी संख्या में लोग आते हैं।
उन्होंने बैंकर्स को एमएसएमई संस्थाओं पर विशेष ध्यान देते हुए जिला प्रशासन के साथ मिलकर नियमित बैठकें आयोजित करने के निर्देश दिए, ताकि एमएसएमई की शिकायतों का समाधान किया जा सके।
उन्होंने 87 प्रतिशत के वर्तमान सीडी अनुपात पर भी संतोष व्यक्त किया। साथ ही, बैंकर्स से आग्रह किया कि वे उच्च सीडी अनुपात प्राप्त करने वाले राज्यों के अनुरूप उच्च लक्ष्य निर्धारित करें, ताकि ऋण वितरण और वित्तीय समावेशन को और बढ़ाया जा सके।
मुख्य सचिव ने बैंकर्स से पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत ऋण स्वीकृतियों में तेजी लाने का भी आग्रह किया। इस योजना के तहत पारंपरिक कौशल वाले कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता प्रदान की जाती है।
यह योजना के तहत पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और पहचान पत्र के अलावा 5 प्रतिशत की रियायती ब्याज दर पर 1 लाख रुपये (पहली किश्त) और 2 लाख रुपये (दूसरी किस्त) तक की ऋण सहायता के साथ ही कौशल उन्नयन, टूलकिट प्रोत्साहन, डिजिटल लेनदेन प्रोत्साहन और विपणन सहायता भी प्रदान की जाती है। 18 पारंपरिक ट्रेडों को कवर करते हुए, इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण और शहरी भारत में कारीगरों का उत्थान करना है।
एस.एल.बी.सी. में चर्चा किए गए विभिन्न वित्तीय मापदंडों में हरियाणा के प्रदर्शन की सराहना करते हुए, श्री विवेक श्रीवास्तव ने कृषि और कमजोर क्षेत्रों में ऋण प्रवाह में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने खराब प्रदर्शन करने वाले निजी क्षेत्र के बैंकों को विभिन्न सरकारी योजनाओं में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया, क्योंकि इससे एस.एल.बी.सी. के लक्ष्यों और उद्देश्यों को हासिल करने के प्रयासों को बल मिलेगा।
बैठक के दौरान पंजाब नेशनल बैंक के कार्यकारी निदेशक श्री कल्याण कुमार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए वित्तीय लक्ष्यों को हासिल करने के लिए रोड मैप की रूपरेखा पेश की। उन्होंने कहा कि सितंबर 2024 को समाप्त अवधि के दौरान हरियाणा के बैंकिंग क्षेत्र ने उल्लेखनीय उपलब्धियां दर्ज की हैं। बैंकिंग क्षेत्र ने सितंबर 2024 तक कुल जमा आधार 7,72,496 करोड़ और कुल अग्रिम 6,72,887 करोड़ रुपये दर्ज किया। यह जमा में 82,663 करोड़ रुपये (11.98 प्रतिशत) और अग्रिम में 99,626 करोड़ रुपये (17.38 प्रतिशत) की साल-दर-साल वृद्धि को दर्शाता है। इसके अतिरिक्त, प्राथमिकता क्षेत्र के अग्रिमों में 30,894 करोड़ रुपये (13.27 प्रतिशत) की वृद्धि देखी गई, जो बैंकिंग संस्थानों के कृषि और एमएसएमई जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर मजबूत फोकस को दर्शाता है।
बैठक के दौरान, नाबार्ड हरियाणा की मुख्य महाप्रबंधक सुश्री निवेदिता तिवारी ने हरियाणा में कृषि और मत्स्य विकास के लिए महत्वपूर्ण अवसरों को रेखांकित किया। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने सब्जियों के लिए कलस्टर विकास शुरू कर दिया है। नाबार्ड द्वारा 124 एफपीओ के गठन मैं सहायता प्रदान की जा रही है, जिसमें से 34 एफपीओ सब्जियों पर केंद्रित हैं। उन्होंने बताया कि इन एफपीओ को अपने परिचालन को बढ़ाने के लिए ऋण सहायता की आवश्यकता है। नाबार्ड की सहायक कंपनी, नबसंरक्षण, क्रेडिट लिंकेज की सुविधा के लिए एफपीओ के लिए कॉलेटरल गारंटी प्रदान करती है।
उन्होंने हरियाणा, खासकर हिसार, सिरसा और रोहतक जैसे लवणीय मृदा वाले जिलों में झींगा पालन की बढ़ती संभावनाओं पर भी प्रकाश डाला।
बैठक में वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री अनुराग रस्तोगी, वित्त सचिव श्री सी.जी. रजनीकांथन, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के निदेशक श्री राजनारायण कौशिक, उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के निदेशक श्री यश गर्ग तथा राज्य सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।