रामायण की कथा में विभीषण की बेटी त्रिजटा का उल्लेख एक महत्वपूर्ण और दिलचस्प पहलू है। त्रिजटा, जो रावण की भतीजी थीं, ने न केवल माता सीता की रक्षा की बल्कि रावण के सर्वनाश की भविष्यवाणी भी की। यह जानना दिलचस्प है कि रावण, जो स्वयं को अजेय मानता था, त्रिजटा से क्यों डरता था।
त्रिजटा का परिचय
त्रिजटा का नाम रामायण में विशेष रूप से उल्लेखित है। वह विभीषण और उनकी पत्नी शरमा की बेटी थीं। त्रिजटा का व्यक्तित्व बहुत ही सकारात्मक और बुद्धिमान था। वह राक्षस कुल में जन्मी थीं, लेकिन उनके विचार और आस्था भगवान विष्णु में थी। इसीलिए, वह अपने पिता विभीषण के समान राम भक्त थीं.
अशोक वाटिका में त्रिजटा की भूमिका
जब रावण ने माता सीता का अपहरण कर उन्हें अशोक वाटिका में कैद किया, तब उसने सीता की सुरक्षा के लिए कई राक्षसियों को नियुक्त किया। इन राक्षसियों में त्रिजटा सबसे बड़ी थीं और उन्होंने सीता को हर प्रकार से सुरक्षा प्रदान की। जब अन्य राक्षसियां सीता को डराने या उन्हें विवाह के लिए मजबूर करने का प्रयास करतीं, तब त्रिजटा ने उनका विरोध किया और सीता की रक्षा की.
भविष्यवाणी और दिव्य शक्तियाँ
त्रिजटा ने एक बार स्वप्न देखा था जिसमें उन्होंने लंका के विनाश और रावण के अंत की भविष्यवाणी की थी। इस स्वप्न में उन्होंने देखा कि एक वानर (हनुमान) लंका को जला देता है और रावण को पराजित करता है। यह भविष्यवाणी त्रिजटा के दिव्य ज्ञान और शक्तियों का प्रमाण थी, जिससे रावण भयभीत रहता था। उसकी भविष्यवाणियाँ हमेशा सच साबित होती थीं, जिससे उसकी शक्ति और प्रभाव बढ़ जाता था.
रावण का डर
रावण, जो खुद को सबसे शक्तिशाली मानता था, त्रिजटा की शक्तियों से भयभीत था। उसे पता था कि त्रिजटा भगवान विष्णु की अनन्य भक्त हैं और उनके पास अद्भुत दिव्य शक्तियाँ हैं। इसलिए, जब भी त्रिजटा कुछ कहतीं, वह सच होता था। यह बात रावण के लिए चिंता का विषय थी क्योंकि वह जानता था कि अगर त्रिजटा ने किसी बात की भविष्यवाणी की, तो उसके परिणाम भयानक हो सकते थे.
त्रिजटा का मंदिर
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता सीता ने त्रिजटा को कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवी स्वरूप में पूजा करने का वरदान दिया था। आज भी बनारस में त्रिजटा का मंदिर है जहाँ भक्त उनकी पूजा करते हैं। यहाँ विशेष रूप से मूली और बैंगन का भोग चढ़ाया जाता है.
त्रिजटा की कहानी हमें यह सिखाती है कि भले ही कोई व्यक्ति बाहरी रूप से कमजोर दिखे, लेकिन उसके भीतर अद्भुत शक्तियाँ हो सकती हैं। विभीषण की बेटी ने न केवल माता सीता की रक्षा की बल्कि रावण के विनाश की भविष्यवाणी भी की, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सच्ची भक्ति और ज्ञान हमेशा विजय प्राप्त करते हैं।