पारंपरिक यूरिया के स्थान पर नैनो यूरिया (Nano Urea) किस प्रकार फसलों के लिए अधिक उपयोगी है आईए जानते हैं..
Nano Urea | गेहूं सहित अन्य रबी फसलों के लिए नाइट्रोजन अति आवश्यक है नाइट्रोजन की पूर्ति के लिए किसान परंपरागत यूरिया का उपयोग करते हैं।
परंपरागत यूरिया के स्थान पर नैनो यूरिया फसलों के लिए अधिक उपयोगी बताया जा रहा है। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक नैनो यूरिया से फसलों को नाइट्रोजन अधिक मात्रा में मिलता है।
इफको नैनो यूरिया फसलों को आवश्यक नाइट्रोजन प्रदान कर मिट्टी को अधिक उपजाऊ व फसल को गुणवत्तापूर्वक बनाने से सहायक है। Nano Urea
परंपरागत यूरिया से नैनो यूरिया (Nano Urea) किस प्रकार बेहतर है एवं इसका कैसे उपयोग करें और क्या-क्या फायदे हैं, आईए जानते हैं..
नैनो यूरिया तरल का प्रयोग पर्यावरण के अनुकूल
उपसंचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास ने जानकारी दी कि जिले के किसानों को अब नैनो यूरिया इफको संस्था के द्वारा उपलब्ध करा दिया गया। इफको नैनो यूरिया फसलों को आवश्यक नाइट्रोजन प्रदान कर मिट्टी को अधिक उपजाऊ व फसल को गुणवत्तापूर्वक बनाने से सहायक है। इफको नैनो यूरिया तरल का प्रयोग पर्यावरण के अनुकूल, सस्ता व अधिक लाभ प्रदान करने वाला है। Nano Urea
नैनो यूरिया से कैसे अधिक फायदा मिलता है
नैनो तकनीक से उत्पादित यूरिया में एक दाना यूरिया को 55000 नैनो यूरिया के दानों में विभाजित कर दिया जाता है, अपने अति सूक्ष्म आकार और सतही विशेषताओ के कारण नैनो यूरिया को पत्तियों पर छिड़के जाने से पौधों द्वारा आसानी से अवशेषित कर लिया जाता है। Nano Urea
पौधों के जिन भागो से नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है ये कण वहीं पहुंच कर संतुलित मात्रा में उपयोगी पोषक तत्व प्रदान करते है।
नैनो यूरिया से मिट्टी में सुधार के साथ बढ़ेगी उपज
फसलों को नाइट्रोजन की आपूर्ति के लिए यूरिया की जरूरत होती है लेकिन फसल में दिये गये पारंपरिक यूरिया के माध्यम से नाइट्रोजन का केवल 30-40 प्रतिशत ही फसलों को मिल पाता है। जबकि 60-70 प्रतिशत नाइट्रोजन याप्पीकरण, रिसाव व मिट्टी स्थिरीकरण द्वारा बर्बाद हो जाता है। मिट्टी, वायू एवं जल को प्रदूषित करता है। Nano Urea
नैनो यूरिया का उपयोग कैसे करें
इफको नैनो यूरिया किसानों को तरल पदार्थ के रूप में उपलब्ध होगा जिसे पत्तियों पर छिड़काव के द्वारा उपयोग किया जाता है नैनो यूरिया तरल जो की आधा लीटर की बोतल में होगा, आधा लीटर बोतल में 40000 पीपीएम नाइट्रोजन है। Nano Urea
खास बात यह है की इसकी क्षमता एक 45 किलो के पारंपरिक यूरिया के बराबर या इससे अधिक ही होगी। एक आधा लीटर (500 मिली) बोतल एक एकड़ खेत के लिए पर्याप्त है, इसका पहला छिड़काव बोआई या रोपाई के 25-35 दिन पर और दूसरा छिड़काव फूल आने के एक सप्ताह पहले कर सकते है।
नाइट्रोजन की कम जरूरत वाली फसलों में दो एम.एल ओर अधिक नाइट्रोजन की आवश्यकता वाली फसलों में चार एम.एल प्रति लीटर पानी की दर से नैनो यूरिया का उपयोग करना है। Nano Urea
पारंपरिक यूरिया के अंधाधुध उपयोग के दुष्परिणाम खेती, पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ पर अब स्पष्ट दिख रहे है. देश के किसानों को स्वदेशी उन्नत कृषि प्रोधोगिकी आधारित तरल नैनो यूरिया के रूप में अदभूत विकल्प मिला है जो की बहुत लाभकारी है।