गेहूं की फसले किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है। गेहूं की फसल में नाइट्रोजन की पूर्ति करने के लिए किसान भाई परंपरागत यूरिया का इस्तेमाल करते हैं लेकिन परंपरागत यूरिया के जगह पर नैनो यूरिया फसलों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होता है। इसको नैनो यूरिया फसलों में नाइट्रोजन की कमी पूरी करता है। इसके साथ ही इसे मिट्टी और ज्यादा उपजाऊ बनती है।आइए नैनो यूरिया के फायदे और इसके इस्तेमाल के बारे में जानते हैं।
नैनो यूरिया के फायदे
नैनो यूरिया के इस्तेमाल के कई सारे फायदे हैं। नैनो तकनीकी से उत्पादित यूरिया में एक दाना यूरिया को लगभग 55000 नैनो यूरिया के दोनों में खंडित कर देता है। यह अति सूक्ष्म आकार और सतही खासियत की वजह से नैनो यूरिया को पत्तियों पर छिड़के जाने से पौधों द्वारा आसानी से अवशोषित कर लेता है। जिससे पौधे में नाइट्रोजन की कमी पूरी होती है और इससे कई पोषक तत्व पौधे को मिलते हैं।
नैनो यूरिया से बढ़ेगा उत्पादन
नैनो यूरिया फसलों में नाइट्रोजन की पूर्ति करता है पारंपरिक यूरिया के माध्यम से नाइट्रोजन का केवल 30 से 40% ही फसलों को मिलता है। इसके साथ ही 60 से 70% नाइट्रोजन वाष्पीकरण रिसाव और मिट्टी स्थिरीकरण से बर्बाद हो जाता है। इसकी वजह से मिट्टी, वायु और जल प्रदूषित हो जाते हैं।
नैनो यूरिया का इस्तेमाल
नैनो यूरिया का इस्तेमाल करना बहुत ही आसान होता है। यह तरल पदार्थ के रूप में पाया जाता है। इसका पत्तियों पर छिड़काव करके उपयोग किया जाता है। नैनो यूरिया तरल जो कि आधा लीटर की बोतल में होगा। इस बोतल में 40000 पीपीएम नाइट्रोजन होता है। इसका पहला इस्तेमाल आप बुवाई या रोपाई के लगभग 25 से 30 दिन और दूसरा छिड़काव फूलने के हफ्ते पहले कर सकते हैं। इससे आपकी फसल में नाइट्रोजन की आवश्यकता पूरी हो जाएगी।