नई दिल्ली। प्रयागराज में शुरू हुआ महाकुंभ 2025 लोगों की एक बड़ी आस्था का केन्द्र बन चुका है। इस संगम स्थाल में हर देश से लोग आकर संगमके तट पर डुबकी लगाकर भगवान को प्रति अपनी आस्था व्यक्त कर रहे है। अब इस सनातन धर्म से जुड़ने के लिए विदेशी लोग भी पीछ नही है। वो इस संसकृति से इतने खुश हो चुके है। कि अपनी आलीशान जिंदगी को छोड़ सनातन धर्म का झंड़ा बुलंद करते हुए साधु और साध्वी बन रहे है।
इस महाकुंभ की नगरी में ऐसी ही एक संन्यासी नजर आई। जो अमेरिकी रहन सहन से ऊब चुकी थी। भारत में आकर उसे काफी सुकुन मिल रहा है। जिसके चलते अब वो महिला साध्वी बन चुकी है।
सरस्वती नाम की यह इग्लिश बोलने के साथ साथ हिंदी भी बोलना सीख गई है। इतना ही नही वो हमारे देश की संस्कृति से इतनी रम गई है कि वो इस देश को छोड़ने के लिए भी तैयार नही है।
साध्वी ने इंडिया टीवी से की खास बातचीत
साध्वी सरस्वती ने बताया कि सनातन धर्म दुनिया के सबसे श्रेष्ठ धर्म में से एक है। दुनिया में चल रही सभी समस्याओं का समाधान इस सनातन धर्म में है। आज पूरी दुनिया के लोग इसकी ओर आकर्षित होते चले रहे है। और अपने जीवन को सरल बनाने और अपने उद्देश्य को पहचानने के लिए सनातन धर्म से जुड़ रहे हैं।
इसके अलावा साध्वी सरस्वती ने महाकुंभ की व्यवस्थाओं को लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ जी की तारीफ करते हुए उन्हें धन्यवाद दिया और कहा कि जो कुछ भी व्यवस्था पीएम और सीएम ने किया है वह बहुत ही अद्भुत है।
25 साल पहले अमेरिका से भारत घूमने आईं और संन्यास ले लिया
बता दें कि, साध्वी सरस्वती साल 1996 में अमेरिका से भारत घूमने आईं थीं। यहां आन के बाद वो भारतीयों के रहन सहन खान पान से इतनी प्रभावित हो गई कि उन्होंने महज 30 साल की उम्र में अपना घर-परिवार छोड़कर संन्यास लेने का फैसला कर लिया।
25 साल की उम्र में उन्होंने संन्यास ले लिया था। अब वो ऋषिकेश में ही गंगा किनारे मौजूद परमार्थ निकेतन आश्रम में रहती हैं। और भारत में महिला सशक्तिकरण पर काम कर रही हैं। साध्वी सरस्वती भी इस महाकुंभ में प्रयागराज पहुंची हुई हैं और तपस्या में लीन हैं।