ट्रेन अब और भी तेज रफ्तार से दौड़ेगी, जिससे यात्रियों का समय भी बचेगा
यूपी के इन दो जिलों को जोड़ने वाली रेल ट्रैक पर हुआ बड़ा बदलाव, ट्रेनों की बढी रफ्तार
भारतीय रेलवे ने देशभर में कई ट्रेनों की समय सारिणी में बदलाव किया है। विभिन्न मंडलों व जोन में लगातार चल रहे पटरियों के काम का लाभ अब यात्रियों को नई समय. सारिणी से मिलेगा। बता दें कि लंबी दूरी की कई ट्रेनों का समय बदला गया है।
दोहरी लाइन वाले हो गए वाराणसी जाने वाले तीनों रेलमार्ग
नए साल के आने से ट्रेन यात्रियो के बेहद खुशखबरी की बात है। ट्रेन अब और भी तेज रफ्तार से दौड़ेगी, जिससे यात्रियों का समय भी बचेगा। ट्रेन को अब सुपरफास्ट बनाया जा रहा है। इससे यात्रियों को सीधा लाभ मिलेगा। सालभर जोन में भी पटरियों को अपग्रेड करने का काम चला है, जिसका लाभ अब यात्रियों को मिलने लगेगा। अब वाराणसी जाने वाले तीन रेलमार्ग का दोहरीकरण होने से महाकुंभ पर चलने वाली स्पेशल ट्रेनों का आवागमन और सुगम हो जाएगा। प्रयागराज से वाराणसी के लिए कुल तीन रेलमार्ग हैं। इन तीनों ही में सबसे लंबा रास्ता वाया मिर्जापुर होकर ही है। इसका अधिकांश भाग उत्तर मध्य रेलवे के ही अधीन है। एनईआर और नार्दन रेल के ट्रैकों के दोहरीकरण ने प्रयागराज को वाराणसी के करीब ला खड़ा किया है।
सिंगल रेलखंड पर ट्रेनों को क्रास कराने की बाधा को दोहरीकरण ने खत्म कर दिया है। ट्रेनें अब सुरक्षित, 130 की गति से रफ्तार भरते हुए एक घंटे पूर्व प्रयागराज और वाराणसी के बीच सफर पूर्ण कराएंगी। दोनों रेल मंडल के ट्रैकों के दोहरीकरण का कार्य एक माह से भी कम अंतराल पर पूर्ण होने से आलाधिकारियों ने राहत की सांस ली है। 5 से 15 मिनट का समय यात्रियों का समय बचेगा। ट्रेन में सफर करने वाले यात्रियों को भी अब समय से पहले स्टेशन पहुंचना होगा। बता दें कि तीसरी लाइन का काम पूरा होने के साथ रेलवे ने जोन में एक्सप्रेस ट्रेनों के लिए पटरियों को अपग्रेड किया है, जिससे ट्रेनें अब और तेज रफ्तार से चलेंगी। दोनों ही रेल जोन के अलग-अलग मंडलों के सिंगल रेलखंड के रास्ते प्रयागराज पहुंचना दुरूह था। दोहरीकरण के लिए दोनों ही रेलमंडल प्रशासन चरणबद्ध तरीके से प्रयास कर रहे थे, जो प्रयागराज में लगे महाकुंभ से ठीक पूर्व पूर्णतया कंप्लीट हो पाया है। इसी का परिणाम है कि दोनों ही रेल मंडल अपनी मूल ट्रेनों के सफल परिचालन के साथ संयुक्त रूप से अतिरिक्त 154 ट्रेनों का संचालन कर पा रहे हैं। स्पेशल ट्रेनों की संख्या में मौनी अमावस्या पर और वृद्धि करने की तैयारी है।
महाकुंभ के मद्देनजर तेजी से हुआ कार्य
वाराणसी जाने को माहभर पूर्व यह एकमात्र दोहरीकरण वाला रेलमार्ग था, लेकिन अब एक माहभर में ही दो अन्य रेलमार्ग भी दोहरी लाइन वाले हो गए हैं। इसमें प्रयागराज जंक्शन-प्रयागराज-रामबाग-ज्ञानपुर रोड-वाराणसी रेलमार्ग प्रमुख रूप से शामिल हैं।पीएम मोदी ने 13 दिसंबर को ही इस रेलमार्ग पर बने नए गंगा पुल के साथ दोहरीकरण का लोकार्पण किया था। यह रेलमार्ग पूर्वोत्तर रेलवे के अधीन है। काशी में दो रेलमंडल समाहित है। पूर्वाेत्तर रेल के बनारस मंडल अंतर्गत मीरजापुर, भदोही जनपद को छूती ट्रेनें प्रयागराज पहुंचती है। इस रेल मंडल के झूंसी-प्रयागराज के बीच सात किमी. का अंतिम रेलखंड दोहरीकरण से अछूता रह गया था। जिसे गत 11 दिसंबर को सीआरएस (कमिशन आफ रेलवे सेफ्टी) ने ट्रेनों के संचालन को अनुमति दी थी।
इसी तरह वाराणसी के लिए एक अन्य तीसरे रेलमार्ग का भी दोहरीकरण हो चुका है। प्रयागराज जंक्शन.फाफामऊ.जंघई.वाराणसी रेल मार्ग के फाफामऊ.उग्रसेनपुर रेलखंड का शनिवार को ही सीआरएस ने ट्रायल लिया। डीआरएम लखनऊ एसएम शर्मा का कहना है कि दोहरीकरण हुए फाफामऊ.जंघई रेलमार्ग पर सीआरएस ट्रायल के बाद ट्रेन संचालन की अनुमति दे दी गई है। इसी तरह नार्दन रेल के लखनऊ मंडल अंतर्गत ट्रेनें वाराणसी, भदोही को छूती हुई प्रयागराज पहुंचती हैं। नार्दन रेलखंड पर उग्रसेनपुर-जंघई-फाफामऊ रेलखंड के 35 किमी. दूरी के दोहरीकरण (झूंसी-प्रयागराज रेलखंड के दोहरीकरण परमीशन अनुमति के ठीक 20 दिन बाद) को सीआरएस ने ट्रेनों के परिचालन की अनुमति दे दी।