कार खरीदने का सपना सबका होता है।कई लोग कार की पूरी कीमत के कारण उसे खरीद लेते है तो कई लोन लेकर कार खरीदने का सपना पूरा करते है।कई लोग ऐसे भी है जो डाउनपेमेंट,लोन ,ईएमआई,इंश्योरेंस और मेंटेनेस के झंझट में पड़े बिना कार खरीदना चाहते है।ऐसे में अगर आप भी इनमे से एक है तो इसके लिए एक आसान तरीका है,जिसकी मदद से आप कम खर्चे और बिना झंझट आसान किश्तों में कार खरीद सकते है।
आजकल लोन के बजाय लीज पर कार खरीदना भी बेहतर तरीका है।लीज ऑप्शन उन लोगो के लिए भी काम का है जो आपकी कार से बहुत जल्दी बोर हो जाते है या एक दो साल म गाड़ी बदल लेते है।ये ऐसा ऑप्शन है जिसमे कार का प्रयोग करने के बदले में आपको फिक्स मंठली फ़ीस भरनी होगी।कार लीज पर लेने के लिए आपको कुछ बातो को ध्यान में रखना होगा।
कार लीज लेने के फायदे
लीज पर ली गयी कार के लिए मंथली पेमेंट आमतौर पर कार लोन ईएमआई की तुलना में कम होती है।आपको कार ख़ह्ऱिदने के लिए डाउन पेमेंट करने की जरूरत नहीं होती है।आपको कार के मेंटेनेंस और रिपेयरिंग की चिंता करने की जरूरत नहीं है।
कार लीज पर लेने के नुकसान
लीज नियम के अनुसार आप कार के मालिक नहीं होंगे।आपको लीज पीरियड खत्म होते ही आपको कार वापस करनी होगी।आपकी कुछ एक्स्ट्रा कोस्ट की पेमेंट करनी पड़ सकती है।
लोन और लीज में फर्क
जब आप लीज पार कार लेते है तो आपको हर महीने एक फिक्स चार्ज देना होता है।यह वैसा ही होता है जैसे आप किसी सर्विस का प्रयोग करने के लिए सब्सक्रिप्शन चार्ज या रेंट का भुगतान करते है।जबकि लोन में किश्ते बैंक इंट्रेस्ट रेट के अनुसार घटती बढ़ती रहती है। लीज की सबक्रिप्शन फ़ीस के अलावा आपको कोई चार्ज नहीं देना पड़ता है। इंश्योरेंस और मेंटेनेंस जैसी चीजे फिक्स सब्स्क्रिप्शन में शामिल है।
लोन पर ली गयी कार के लिए ये सरे खर्चे आपको अलग से उठाने पड़ते है।लीज पर ली हुई कार आपको टेक्स बेनीफीट भी मिलता है। 5 साल तक आपकी गाड़ी की सर्विसिंग भी फ्री रहती है।वही लोन पर ली हुई कार के मामले में ऐसा नहीं है।