Women’s Shirt Button: शर्ट पहनना आज के समय में महिलाओं और पुरुषों दोनों के फैशन का अहम हिस्सा बन चुका है. हालांकि अगर आपने ध्यान दिया हो, तो महिलाओं और पुरुषों की शर्ट में बटन की दिशा अलग होती है. पुरुषों की शर्ट में बटन दाईं तरफ होते हैं, जबकि महिलाओं की शर्ट में बटन बाईं तरफ. यह अंतर केवल दिखने भर का नहीं है बल्कि इसके पीछे ऐतिहासिक, सामाजिक और व्यावहारिक कारण छिपे हैं.
पुरुषों की शर्ट के बटन दाईं तरफ क्यों होते हैं?
पुराने समय में जब बटन वाली शर्ट पहली बार आई थी, तब ज्यादातर लोग दाएं हाथ से काम करते थे. खासतौर पर पुरुष, जो तलवार चलाने जैसे काम करते थे, दाएं हाथ का इस्तेमाल करते थे. इसीलिए उनकी शर्ट में बटन दाईं तरफ लगाए गए ताकि बाएं हाथ से बटन खोलने में आसानी हो.
युद्ध और शिकार का प्रभाव
पुरुषों के लिए युद्ध और शिकार सामान्य गतिविधियां थीं. तलवार या अन्य हथियार दाएं हाथ में होते थे, जिससे बाएं हाथ से बटन खोलना या बंद करना सुविधाजनक होता था. यह प्रचलन धीरे-धीरे उनके पहनावे का हिस्सा बन गया.
महिलाओं की शर्ट के बटन बाईं तरफ क्यों होते हैं?
महिलाएं आमतौर पर घर के काम करती थीं और बच्चों की देखभाल में लगी रहती थीं. इस दौरान वे बच्चों को गोद में लेकर दाएं हाथ से काम करती थीं. इसलिए, उनकी शर्ट के बटन बाईं तरफ लगाए गए ताकि वे आसानी से दाएं हाथ का इस्तेमाल कर सकें.
मेड्स का योगदान
जब बटन वाली शर्ट पहली बार अमीर महिलाओं के बीच फैशन में आई, तो इन कपड़ों को पहनाने के लिए मेड्स होती थीं. मेड्स महिलाओं को सामने से कपड़े पहनाती थीं, और बटन बाईं तरफ होने से उन्हें कपड़े पहनाने में आसानी होती थी.
फैशन और परंपरा
आज के समय में ये कारण उतने प्रासंगिक नहीं रहे हैं, क्योंकि अब महिलाएं और पुरुष समान रूप से हर काम करते हैं. इसके बावजूद महिलाओं की शर्ट में बटन बाईं तरफ और पुरुषों की शर्ट में दाईं तरफ लगाने की परंपरा जारी है. इसे अब फैशन का एक हिस्सा मान लिया गया है.
डिजाइन में बदलाव की शुरुआत
हालांकि, आधुनिक डिजाइनर इस परंपरा को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. कई ब्रांड अब ऐसी शर्ट बना रहे हैं जिनमें बटन दोनों तरफ होते हैं. इसके अलावा, unisex कपड़ों का चलन बढ़ रहा है, जिनमें बटन की दिशा का अंतर नहीं होता.
इतिहास और संस्कृति के प्रतीक
महिलाओं और पुरुषों की शर्ट में बटन की दिशा का यह अंतर हमारे समाज, इतिहास और संस्कृति का एक प्रतीक है. यह हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि कपड़ों का डिजाइन केवल फैशन नहीं, बल्कि हमारे जीवनशैली और सामाजिक ढांचे का प्रतिबिंब भी है.
क्या भविष्य में यह परंपरा बदलेगी?
आज की पीढ़ी पुराने परंपराओं को बदलने और नई सोच अपनाने के लिए तैयार है. हालांकि, कुछ लोग इसे क्लासिक और पारंपरिक फैशन का हिस्सा मानते हैं. इस बदलाव का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि लोग इन परंपराओं को किस तरह से देखते हैं.