Cheque Bounce Case : चेक बाउंस को देश में एक अपराध माना गया है वही इसको लेकर कुछ प्रावधान भी लागू किए गए हैं। वहीं इस वजह से पेमेंट करने के लिए चेक का उपयोग करते समय लोगों को कई बातों का ध्यान रखना बहुत ही जरूरी हो जाता है। वरना इसके लिए आपको भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है।
वही यहां तक की चेक बाउंस होने पर मुकदमे की नौबत भी आ सकता है। वहीं अगर आप भी चेक से पेमेंट करते हैं तो आपको इसके नियमों के बारे में जान लेना बहुत ही जरूरी हो जाता है। आईए जानते हैं नियमों के बारे में पूरी जानकारी विस्तार से।
Cheque Bounce Case : बैंक की भाषा में चेक बाउंस होना कहलाता है डिसऑनर्ड चेक
अगर चेक बाउंस होता है तो बता दें कि बैंक की भाषा में चेक बाउंस होना डिसऑनर्ड कहलाता है। वही इसे एक अपराध के तौर पर ही माने जाते हैं। वहीं इसके कई कारण हो सकते हैं ऐसे में हर किसी को चेक से जुड़े नियमों के बारे में पता होना बहुत ही जरूरी है।
वही इन कारणो में जैसे अकाउंट में बैलेंस ना होना या काम होना, या फिर साइन का मेल न खाना, शब्द लिखने में गलती, खाता संख्या में गलती, ओवरराइटिंग, चेक की एक्सपायरी, चेक जारी करने वाले व्यक्ति का खाता बंद होना, या फिर नकली चेक का संदेह, चेक पर कंपनी की मोहर न होना आदि शामिल है।
Cheque Bounce Case : मिलता है गलती को सुधार करने का मौका
आपको बता दें कि ऐसा नहीं होता है कि चेक बाउंस होने पर सीधे आप पर मुकदमा लगाया जाएगा। बता दे कि नियमों के अनुसार अगर आपका चेक बाउंस होता है तो आपको इसकी गलती सुधारने का पूरा मौका दिया जाएगा। वही यहां तक की बैंक तो बिना मुकदमे के आपको दूसरा चेक देने का मौका भी देते हैं।
वहीं बैंक आपको चेक बाउंस की सूचना देकर 3 महीने का समय देते हैं और जब आपका दूसरा चेक भी बाउंस होता है तो इसके बाद आप पर लेनदार कानून कारवाई कर सकते हैं।
चेक बाउंस होने पर बैंक जुर्माना का भुगतान
आपको बता दें कि अगर किसी भी कारणवश आपका चेक बाउंस होता है तो ऐसे में बैंक जुर्माना लगाते हैं वही जुर्माना वही व्यक्ति देते हैं। जो चेक जारी करते हैं बता दें कि बैंक की ओर से जमाने की राशि अलग-अलग होते हैं और जुर्माना को भी कारणों के अनुसार लगाए जाते हैं।
हालांकि आपको लगता होगा कि चेक बाउंस होना आम बात है लेकिन नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट 1881 की धारा 138 के अनुसार चेक बाउंस होना एक दंडनीय अपराध है। वही कानून में चेक बाउंस को लेकर अलग प्रावधान है। बता दें कि यहां तक की चेक बाउंस को लेकर सजा और जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
चेक बाउंस होने पर इतने दिनों के अंदर होगा मुकदमा
बता दे की चेक बाउंस होते ही सीधा जारी करने वाले खिलाफ कार्रवाई शुरू नहीं हो जाते हैं। वही चेक वन होने पर बैंक लेंनदार को एक रसीद देते हैं। वही इस रशीद में चेक बाउंस होने का कारण बताए जाते हैं। उसके बाद लेंनदार के पास 30 दिनों के समय होते हैं और वो इन 30 दिनों के भीतर देनदार को नोटिस भेज सकते हैं।
वहीं अगर नोटिस के 15 दिनों के भीतर देनदार की ओर से कोई जवाब नहीं आते हैं तो लेनदार कोर्ट जा सकते हैं। वहीं अगर लेनदार चाहे तो 30 दिनों के भीतर मजिस्ट्रेट की कोर्ट में शिकायत दर्ज कर सकते हैं। वहीं फिर भी अगर देनदारी पैसे नहीं देते हैं तो लेनदार देनदार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर सकते हैं। वहीं अगर सही कारणों से देनदार दोषी पाए जाते हैं तो ऐसा होने पर उसे पर दो वर्ष तक की जेल या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।