property will : अक्सर देखा जाता है कि लाेग अपनी प्राेपर्टी की वसीयत बनाते हैं ताकि उनके बाद भविष्य में परिवार में किसी प्रकार का कोई विवाद न हो, लेकिन आपको बता दें कि वसीयत (valid and unvalid will) तैयार करने में कई प्रक्रियाओं को भी अमल में लाया जाता है। इसके बाद ही कोई प्रोपर्टी वसीयत के आधार पर ट्रांसफर हो सकती है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट (SC Decision on will) ने एक बड़ा फैसला दिया है, जिसमें कोर्ट ने प्राेपर्टी के लिए लिखी वसीयत को लेकर अहम जानकारी भी दी है, जिसे आपको जानना बेहद जरूरी है।
प्रोपर्टी की वसीयत संपत्ति विवादों को खत्म करने के उद्देश्य से लिखी जाती है। वसीयत लिखना कोई नई बात नहीं है, लेकिन इसमें कई ऐसे पेंच होते हैं, जो बाद में विवाद का कारण भी बन सकते हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम और चौंकाने वाला फैसला सुनाया है, जो प्रोपर्टी वसीयत (property Will) से जुड़े मामलों से संबंधित है।
कोर्ट का यह फैसला लोगों के संपत्ति के अधिकारों और संपत्ति के विवादों को लेकर नए रास्ते भी तय कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट का वसीयत (registered will rules) को लेकर यह निर्णय न सिर्फ वसीयत लिखने वालों के लिए सबसे अहम है, बल्कि कई लोगों के जीवन को भी नया मोड़ देने वाला है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया वसीयत पर यह निर्णय –
सुप्रीम कोर्ट ने वसीयत के मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया। अदालत ने कहा कि वसीयत का केवल पंजीकरण इसे वैध नहीं बनाता। बल्कि यह भी प्रमाण होना चाहिए कि वसीयत की वैधता (How to get will valid) कानून के अनुरूप है और इसे सही तरीके से लागू किया गया है, इसका प्रमाण होना भी जरूरी है।
कोर्ट ने बताया कि इसे साबित करने के लिए भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 63 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 68 के अनुसार प्रमाणित करना आवश्यक है। धारा 63 वसीयत के निष्पादन से संबंधित है, जबकि धारा 68 दस्तावेज़ के निष्पादन से जुड़ी हुई है। कोर्ट ने यह भी कहा कि धारा 68 के तहत कम से कम एक गवाह का परीक्षण करना जरूरी है, ताकि यह साबित किया जा सके कि वसीयत (how to register will) सही तरीके से बनाई और निष्पादित की गई थी।
वसीयत का पंजीकरण ही नहीं है पर्याप्त –
सुप्रीम कोर्ट ने लीला और मुरुगनंथम के मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। यह मामला वसीयत से ही जुड़ा हुआ था। कोर्ट ने कहा कि वसीयत के पंजीकरण से ही उसे वैध नहीं माना जा सकता। वसीयत की वैधता (rules for writing a will) साबित करने के लिए कम से कम एक विश्वसनीय गवाह होना चाहिए। वसीयत को सही तरीके से निष्पादित करने के लिए गवाहों की गवाही बेहद जरूरी है। यह निर्णय वसीयत के मामलों में पारदर्शिता और साक्ष्य की अहमियत को साफ तौर पर दर्शाता है।
वसीयत मानी गई संदिग्ध-
एक व्यक्ति ने अपनी संपत्ति को परिवार के सदस्यों में बांटने के लिए वसीयत (rules for making a will) को तैयार किया था। इस दस्तावेज के माध्यम से, उसने अपनी संपत्ति को 4 हिस्सों में विभाजित किया था, जिसमें से तीन हिस्से उसकी पहली पत्नी और उसके बच्चों को मिलते थे। हालांकि, इस दस्तावेज (documents for will) की वैधता को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ, क्योंकि यह संदेहास्पद था। निचली अदालत और उच्च न्यायालय ने अपीलकर्ताओं के दावे को अस्वीकार कर दिया और इसे संदिग्ध माना।
वसीयतकर्ता के हस्ताक्षरों का महत्व –
मामला जब सर्वोच्च अदालत (SC dicision on will) पहुंचा, तो वहां भी इस दस्तावेज की वैधता को लेकर कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिले। अदालत ने यह भी कहा कि अपीलकर्ता यह साबित करने में असमर्थ रहे कि दस्तावेज को सही तरीके से तैयार किया गया था, और वसीयतकर्ता ने इसे पूरी तरह से समझकर ही हस्ताक्षर किया था। इस फैसले ने संपत्ति विवादों के महत्व को और अधिक बढ़ा दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के सामने आ ही गई यह बात-
सुप्रीम कोर्ट ने एक वसीयत (Will making process) दस्तावेज को संदेहास्पद मानते हुए गंभीर सवाल उठाए। दस्तावेज में एक ओर तो यह कहा गया कि व्यक्ति पूरी तरह से होश में था और सही दिमाग से यह कार्य कर रहा था, लेकिन दूसरी ओर उसमें यह भी लिखा था कि वह दिल की बीमारी से पीड़ित था और इलाज ले रहा था। इस तरह से इस मामले में कई बातों की तह खुलती गई और काफी कुछ इस मामले में वसीयत को लेकर सुप्रीम कोर्ट (supreme court news) के सामने आ गया। अंतत: सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी वसीयत को अवैध माना।
यह कहना था प्रतिवादी महिला का-
प्रतिवादी महिला ने स्वीकार किया कि उनके पति ने यह दस्तावेज तैयार किया था, लेकिन उसमें उनकी कोई भूमिका नहीं थी। वसीयत को उनके पति ने तैयार नहीं किया बल्कि उनसे वसीयत (how to prepare a will)तैयार करवाई गई। गवाह ने दावा किया कि एक अधिकारी ने दस्तावेज को पढ़कर सुनाया था, लेकिन इस बात का कोई प्रमाण पेश नहीं किया जा सका।
इसके अलावा, गवाह व्यक्ति वसीयतकर्ता का परिचित भी नहीं था। इन सभी बातों ने दस्तावेज की वैधता को लेकर और भी सवाल खड़े कर दिए, जिससे अदालत को इसे संदिग्ध मानने पर मजबूर होना पड़ा। इस पर कोर्ट ने कहा कि केवल वसीयत (will preparing rules) का पंजीकरण की काफी नहीं है, बल्कि इसमें गवाह का परीक्षण व बयान भी अहम रोल अदा करता है।