Kisan News : सब्जी की खेती से मालामाल होना चाहते हैं तो चलिए बताते हैं फरवरी-मार्च में कौन-सी सब्जी लगाकर तगड़ी कमाई कर सकते हैं-
फरवरी-मार्च में खेती
फरवरी-मार्च में कई प्रकार की सब्जियों की खेती की जाती है, जिसमें आज हम आपको एक बढ़िया मुनाफा देने वाली सब्जी की खेती की जानकारी देने जा रहे हैं। जिसके नाम पर नहीं जाना है, बल्कि बाज़ार में उसकी मांग को ध्यान में रखना है, तो चलिए आपको बताते हैं वह सब्जी कौन-सी है और उसकी खेती कैसे करनी है, कौन से किसान इसकी खेती से कितना कमा रहे हैं, और बढ़िया वैरायटी भी जानेंगे।
तोरई की खेती
दरअसल हम तोरई की खेती की बात कर रहे हैं चलिए नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार जाने इसकी खेती का तरीका-
- तोरई की खेती साल में तीन बार कर सकते हैं। गर्मी यानी कि अभी अगर तोरई की खेती करना चाहते हैं तो फरवरी से मार्च के बीच बेहतर समय है, और बरसात के मौसम में तोरई की खेती जून से जुलाई के बीच की जाती है, वहीं सर्दियों में अक्टूबर से नवंबर के बीच तोरई की खेती का सही समय होता है।
- तोरई की खेती के लिए बढ़िया जल निकासी वाली मिट्टी का चयन करें। जिसकी जल्द धारण करने की क्षमता भी बेहतर हो। अगर इस बात का ध्यान नहीं रखा जाता तो फसल खराब हो सकती है।
- बुवाई से पहले खेत की मिट्टी को उपजाऊ करें, ताकि उत्पादन अधिक मिले। इसके लिए 10 टन गोबर की खाद या फिर इसके जगह पर 1 टन वर्मी कंपोस्ट डाल सकते हैं।
- तोरई की खेती किसान कम पानी में करना चाहते हैं तो इसके लिए ड्रिप इरीगेशन का इस्तेमाल करें। ड्रिप इरीगेशन के लिए सरकार सब्सिडी भी दे रही है। जिसके लिए कृषि विभाग में संपर्क कर सकते हैं।
- इसके अलावा किसान चाहते हैं कि खेत में खरपतवार कम उगे तथा मिट्टी में नमी बनी रहे तो उसके लिए मल्चिंग का इस्तेमाल करें।
- 1 एकड़ में तोरई की खेती करते हैं तो 600 से 800 ग्राम बीजों की आवश्यकता पड़ती है।
- तुरई की खेती करने जा रहे हैं तो पहले नर्सरी तैयार करें और उसके बाद खेतों में पौधों की रोपाई करें। करीब 1 महीने का समय लगेगा तैयार होने में।
तोरई की खेती से बढ़िया उत्पादन लेने के लिए किसानों को समय-समय पर खेत का निरीक्षण करना चाहिए। कीट-रोग कोई भी समस्या दिखाई दे तो समय पर समाधान करना चाहिए। बाजार में विभिन्न प्रकार के कीटनाशक मिलते हैं, जिसके लिए कृषि विशेषज्ञ से संपर्क करके उनके अनुसार उसका समाधान करना चाहिए। इसके अलावा फूल गिरने की समस्या आये तो उसे पर भी ध्यान देना चाहिए। मेल फ्लावर और फीमेल फ्लावर का भी ध्यान रखना चाहिए, तभी उन्हें ज्यादा उत्पादन मिलेगा।
तोरई की उन्नत किस्म
किसान उन्नत किस्म लगाएंगे तो उत्पादन अधिक मिलेगा कीमत भी बढ़िया मिलेगी। जिसमें पहले तो किसान को अपने मंडी की डिमांड का ध्यान रखना चाहिए। तोरई की उन्नत किस्मों में किसान भाई पूसा चिकनी, पूसा स्नेहा, पूसा सुप्रिया, पूसा नसदान, कल्याणपुर चिकनी, फुले प्रजतका, घिया तोरई, सरपुतिया, कोयम्बू- 2 और काशी दिव्या भी अच्छी है।
तोरई की खेती में कमाई
तुरई की खेती से होने वाली कमाई अलग-अलग किसानों के ऊपर निर्भर करती है, यानी कि किसान को कितना उत्पादन मिल रहा है, उसके मंडी में तुरई की कीमत कितनी है, उस हिसाब से कमाई होती है। जिसमें आपको उदाहरण के तौर पर बताएं तो साल 2024 में बागपत के एक किसान ने तुरई की खेती की थी और उन्हें अन्य फसलों की तुलना में इससे तीन गुना अधिक कमाई हुई थी। किसान ने बताया कि वह 12 बीघा की जमीन में तोरई लगाई थी जिससे उन्हें 5 लाख की कमाई हुई है।
लेकिन तोरई की खेती का किसान के पास 10 साल का तजुर्बा है। जिससे वह अच्छी फसल लेते हैं, और साल में दो बार तोरई की खेती करते हैं। इसमें किसान ने बताया कि इसमें कीटों से जुड़ी चुनौती आती है, जिससे अन्य किसान भाइयों को भी समय पर निपटना चाहिए, तभी उत्पादन अच्छा मिलेगा। जिसमें किसान ने बताया कि ₹40 के रेट उन्हें मिल रहे थे और उनकी फसल इतनी बढ़िया थी कि 50% लोग तो खेत से आकर उत्पादन ले जाते थे। इस तरह आप समझ सकते हैं कि तोरई की खेती में कितना फायदा है।