हिंदू धर्म में तीन देवियो को प्रमुख माना जाता है।इनमे से सरस्वती भी एक है।देवी सरस्वती को ज्ञान ,बुद्धि और संगीत की देवी कहते है।इनके आशीर्वाद से ही मनुष्य को ज्ञान की प्राप्ति होती है।हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को इनकी वसंत पंचमी के रूप में की जाती है।इस बार वसंत पंचमी का पर्व 14 फरवरी,बुधवार को मनाया जाएगा।ऐसा माना गया है की इसी तिथि पर देवी सरस्वती प्रकट हुई थी।
वसंत पंचमी की कथा
ग्रंथो के मुताबित जब भगवान ब्र्हा ने सृष्टि की रचना की तो उन्हें इसमें कुछ अधूरापन लगा। काफी सोचने के बाद वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे की इस संसार में सब कुछ मोन है। कभी भी कुछ ध्वनि इस संसार में नहीं है। इस कारण ये सृष्टि अधूरी लग रही है।
ये विचार आने के बाद ब्रहाजी ने अपने कमंडल से थोड़ा सा जल हाथ में लिया एक जगह पर छिड़का। ऐसा करते ही वह से एक देवी प्रकट हुई।उन देवी के चेहरे पर अध्भुत तेज था,सफेद वस्त्र पहने उन देवी के एक हाथ में पुस्तक और दूसरे हाथ में विणा थी।जैसे ही देवी ने विणा की तान छेड़ी,वैसे ही इस संसार का मोन खत्म हो गया और सभी दूर मधुर संगीत सुनाई देने लगा।संसार की हर वास्तु में ध्वनि उतपन्न होने लगी। इस तरह ये पूरी तरह की आवाजों से भर गयी।ये देखकर ब्रहाजी को लगा की अब सृष्टि सम्पूर्ण हो गयी है।
यही देवी सरस्वती थी।उन्होंने प्रकट होते ही ब्रहाजी को प्रमाण किया। ऐसा माना गया की जिस दिन सरस्वती प्रकट हुई,उस दिन माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि थी। इसलिए हर साल इस तिथि पर वसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है और देवी सरस्वती की पूजा की जाती है।