Railway Line in Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश में भोपाल से रामगंज मंडी रेलवे लाइन बिछाने का कार्य इन दिनों तेज़ी से किया जा रहा है। इस परियोजना के तहत कई इलाकों में काम अंतिम चरण में है, और कुछ जगहों पर रेलवे ट्रायल भी सफलतापूर्वक किया जा चुका है। हाल ही में खिलचीपुर में रेलवे ट्रायल किया गया, जो इस बात का संकेत है कि रेलवे लाइन जल्द ही शुरू हो सकती है।
तुर्कीपुरा और बड़ोदिया तालाब के किसानों का मुआवजा विवाद गर्माया
हालांकि, इस रेलवे परियोजना के तहत नरसिंहगढ़ के ग्राम तुर्कीपुरा और बड़ोदिया तालाब के किसानों का मुआवजा मामला एक बार फिर चर्चा में है। यह विवाद वर्ष 2017 से चला आ रहा है, जब इन गांवों की ज़मीन रेलवे लाइन बिछाने के लिए अधिग्रहण की गई थी। प्रशासन और किसानों के बीच मुआवजे के ब्याज को लेकर विवाद पिछले दो महीनों से और अधिक गंभीर हो गया है।
एसडीएम ने किसानों से की मुलाकात
12 फरवरी को एसडीएम सुशील वर्मा, तहसीलदार विराट अवस्थी, नायब तहसीलदार अंगारिका कनौजिया और रेलवे अधिकारियों ने ग्राम तुर्कीपुरा के उन 22 किसानों से मुलाकात की, जिनकी 31 बीघा ज़मीन रेलवे परियोजना के लिए अधिग्रहित की गई थी। प्रशासन ने किसानों से अपील की कि वे शासन के पास उपलब्ध मुआवजा राशि को जल्द से जल्द ले लें। हालांकि, किसानों का कहना है कि उन्हें अब तक उनके मुआवजे का पूरा ब्याज नहीं दिया गया है, इसलिए उन्होंने इस मुद्दे पर न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
22 किसानों को नोटिस जारी
एसडीएम सुशील वर्मा ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए 22 किसानों को नोटिस जारी किया है। नोटिस में कहा गया है कि किसान तीन दिनों के भीतर अपने बैंक खाते और आधार कार्ड की जानकारी प्रशासन को उपलब्ध कराएं, ताकि उनके खातों में मुआवजा राशि डाली जा सके। लेकिन किसानों ने इस नोटिस पर आपत्ति जताई है और कहा है कि वे न्यायालय के फैसले के बिना कोई भी राशि स्वीकार नहीं करेंगे।
मुआवजे में देरी क्यों हुई?
इस विवाद की जड़ वर्ष 2017 में कराए गए भूमि अधिग्रहण सर्वे से जुड़ी है। रेलवे लाइन के लिए राजस्व विभाग द्वारा वर्ष 2017 में तुर्कीपुरा, बड़ोदिया तालाब, गिलाखेड़ी, सेमलखेड़ी और बिजोरी समेत कई गांवों की ज़मीन का सर्वे किया गया था। लेकिन वर्ष 2017 में तुर्कीपुरा और बड़ोदिया तालाब को छोड़कर बाकी सभी गांवों के किसानों को मुआवजा और ब्याज का भुगतान कर दिया गया।
अब किसानों का सवाल है कि जब सर्वे एक साथ हुआ था, तो फिर इन दो गांवों का अवॉर्ड वर्ष 2022 में क्यों किया गया? प्रशासन की इस गलती के कारण ही इन किसानों को मुआवजे का भुगतान देरी से किया गया, और उन्हें ब्याज नहीं मिला। किसानों का कहना है कि यह प्रशासनिक लापरवाही है और इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
किसानों ने न्यायालय में दाखिल की याचिका
किसानों ने मुआवजा विवाद को लेकर न्यायालय में याचिका दाखिल की है और मांग की है कि उन्हें अन्य गांवों की तरह ही मुआवजे की राशि के साथ ब्याज भी दिया जाए। किसानों का तर्क है कि यदि बाकी गांवों को ब्याज मिला, तो उन्हें क्यों नहीं? प्रशासन ने जिस तरह से पहले कुछ गांवों को भुगतान कर दिया और तुर्कीपुरा व बड़ोदिया तालाब के किसानों को इंतज़ार कराया, वह अनुचित है।
किसानों को जल्द से जल्द मुआवजा लेने की सलाह*
प्रशासन का कहना है कि किसानों को अब मुआवजा स्वीकार कर लेना चाहिए और इस विवाद को समाप्त कर देना चाहिए। एसडीएम और रेलवे अधिकारियों का मानना है कि यदि किसान मुआवजा नहीं लेते हैं, तो इस विवाद के चलते रेलवे परियोजना में और देरी हो सकती है। प्रशासन ने किसानों को समझाने की कोशिश की है कि वे न्यायालय के फ़ैसले का इंतजार किए बिना अपनी मुआवजा राशि ले लें, लेकिन किसान इसके लिए तैयार नहीं हैं।
क्या होगा आगे?
अब सवाल यह उठता है कि इस मामले का समाधान कब होगा? क्या प्रशासन किसानों की मांग को मानेगा, या फिर किसान अपने पक्ष को लेकर न्यायालय में संघर्ष जारी रखेंगे? वर्तमान में यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है, और जब तक न्यायालय का निर्णय नहीं आ जाता, तब तक किसानों का रुख साफ़ तौर पर मुआवजा लेने के पक्ष में नहीं है।