इस साल 13 मार्च को होलिका दहन का शुभ योग बन रहा है, लेकिन भद्रा का साया भी रहेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शुभ मुहूर्त में होलिका दहन करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं और सुख-समृद्धि आती है। पूजा का सही समय और भद्रा से बचने के उपाय क्या हैं, जानें पूरी जानकारी नीचे।
हिंदू धर्म में होली का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार होलिका दहन पर भद्रा का साया रहेगा, जिससे सही समय पर दहन करना बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल होलिका दहन 13 मार्च को होगा, जबकि रंगों वाली होली 14 मार्च को मनाई जाएगी।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
होलिका दहन से पहले होलाष्टक की शुरुआत हो जाती है, जिसमें कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भद्रा काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता क्योंकि इससे नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- होलिका दहन की तिथि: 13 मार्च 2025
- पूर्णिमा तिथि आरंभ: 13 मार्च सुबह 10:02 बजे
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 14 मार्च सुबह 11:11 बजे
- शुभ मुहूर्त: शाम में 1 घंटा 4 मिनट उपलब्ध रहेगा।
चूंकि 13 मार्च को शाम में भद्रा की छाया पृथ्वी पर रहेगी, इसलिए शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखना होगा।
भद्रा काल में होलिका दहन क्यों नहीं किया जाता?
शास्त्रों के अनुसार, भद्रा काल में किए गए कार्य शुभ फल नहीं देते और इससे अशुभ परिणाम हो सकते हैं। इसीलिए विवाह और अन्य मांगलिक कार्य भी इस दौरान नहीं किए जाते।
- 13 मार्च की सुबह 10:02 बजे से पूर्णिमा तिथि शुरू हो रही है।
- 14 मार्च को सुबह 11:11 बजे पूर्णिमा तिथि समाप्त होगी।
- होलिका दहन भद्रा रहित और निशा काल में करना शुभ माना जाता है।
- इसलिए 13 मार्च को होलिका दहन करना उचित रहेगा।
14 मार्च को मनाई जाएगी रंगों की होली
होलिका दहन के अगले दिन यानी 14 मार्च को रंगों वाली होली का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन लोग गुलाल, अबीर और रंगों से होली खेलेंगे और उत्सव का आनंद लेंगे।