पशुशाला में मक्खियों के समस्या से परेशान है? तो चलिए अब कोई एक ऐसा जुगाड़ बताते हैं जिससे मक्खियों का काम तमाम किया जा सकता है-
पशुशाला में मक्खियों की समस्या
पशुपालन कमाई का एक अच्छा विकल्प है। लेकिन इसमें कई तरह की चुनौतियां आती हैं। जैसे की मक्खियों की समस्या। मक्खियों की वजह से विभिन्न प्रकार की बीमारिया फैलती है और यह मक्खियां पशुओं को बहुत ज्यादा परेशान करती है, उन्हें खाने-पीने में भी परेशान करती है, आंखों में घुस जाती है, तथा काटती भी है। जिससे पशु बीमार भी हो सकते हैं, तो अगर आप मक्खियों के समस्या से परेशान है तो चलिए इस लेख में आपको मक्खी भगाने का जुगाड़ बताते हैं। मुखिया गर्मी, बरसात में बहुत ज्यादा बढ़ जाती हैं। जिससे पशुओं के साथ-साथ इंसानों को भी समस्याएं होती हैं।
मक्खी भगाने का जुगाड़
दरअसल, मक्खी भगाने का एक जुगाड़ है जो तेजी से इस समय वायरल हो रहा है। क्योंकि इस समय मक्खियों की समस्या बहुत ज्यादा बढ़ गई है। जिसमें पशुओं के शरीर पर खासकर उनके माथे पर एक टेप चिपकाया जा रहा है। यह एक खास किस्म का टेप होता है। जिस पर मक्खियां चिपक जाती है, और दोबारा निकल नहीं पाती। जिससे मक्खियां धीरे-धीरे कम होती जाती है, और पशुओं के आंख में भी नहीं घुसती है। इस टेप को पशु के माथे पर या पीठ पर लगाया जा सकता है। जिससे मच्छर, मक्खी सब इसमें चिपक जाएंगे और मक्खी मारने भगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
यह टेप कैसे काम करता है
इस टेप में मक्खियां चिपक जाती है। यह आम टेप नहीं होता। इसमें एक तरह का ग्लू लगा होता है, जो की चिपचिपा पदार्थ होता है। यह अगर हाथों में लग जाता है तो आसानी से साफ भी नहीं होता है। इसमें कीड़े चिपक जाते हैं तो दोबारा उड़ने की संभावना नहीं रह जाती है। इस ग्लू को अगर हाथ में लगा लिया जाए तो फिर तेल या अन्य साबुन के मदद से ही छूटता है।
इस तरह का टेप घर पर भी बना सकते हैं। जिसमें रंग-बिरंगे कागजों में ग्लू लगाया जाता है। लेकिन इसे सावधानी पूर्वक बांधना चाहिए। ताकि किसी भी हालत में यह पशु के शरीर से ना निकल सके। तभी तो माथे पर लगाना चाहिए और किसी चीज की मदद से इसे बांध दें। अगर यह निकल जाएगा तो पशु इसे खा भी सकते हैं। इसलिए इस बात का ध्यान रखें। अगर पशु इसे खा लेते हैं तो उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है।
इस तरह के स्टिकी ट्रैप का इस्तेमाल किसान भाई करते हैं। वह अपने खेतों में इसे लगाते हैं। जिससे मक्खी जैसे कीट इसमें चिपक जाते हैं और फलों को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। लेकिन अगर पशुपालक इसका इस्तेमाल पशुओं के आसपास करते हैं तो वह ध्यान रखें कि यह पशु ना चाटने पाए, नहीं तो उनकी सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।