अब सबसे बड़ा सवाल जो कई लोगो के मन में उठ रहा हैं कि इस राष्ट्रपति शासन के क्या मायने हैं और इसे कब और किन परिस्थितियों में लगाया जाता हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि राष्ट्रपति शासन का अर्थ हैं कि किसी भी राज्य का पूर्ण कंट्रोल राष्ट्रपति के हाथो में चला जाता हैं. हालाँकि प्रशासनिक तौर पर केंद्र सरकार ए राज्य के राज्यपाल को सभी कार्यभार सौपती हैं. बता दे कि संविधान के आर्टिकल 352, 356 और 365 में राष्ट्रपति शासन से संबंधित कुछ प्रावधानों का जिक्र भी हैं.
इन स्थितियों में लगता हैं राष्ट्रपति शासन
- आर्टिकल 356 के मुताबिक यदि राष्ट्रपति को लगता हैं कि राज्य सरकार संविधान के अनुसार कार्य नहीं कर रही हैं तो वे उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर सकते हैं.
- वहीं आर्टिकल 365 ये कहता हैं कि यदि राज्य सरकार केंद्र सर्कार के संवैधानिक निर्देशों को नहीं मानती या उना उलंघन करती हैं तो राष्ट्रपति शासन घोषित किया जा सकता हैं.
- आर्टिकल 352 की बात करे तो आर्थिक आपातकाल की स्थिति में भी राष्ट्रपति शासन लागू करने का धिकार राष्ट्रपति के पास होता हैं.
- चुनाव में किसी पार्टी को बहुमत ना मिलने पर भी इसे लगाया जा सकता हैं.
- बहुतमत प्राप्त करने वाली पार्टी सरकार बनाने से इंकार कर दे और राज्यपाल को सरकार बनाने लाया कोई अन्य दल ना मिले तो इसे लागू कर सकते हैं.
- इसी तरह यदि राज्य सरकार विधानसभा में हार के बाद इस्तीफा दे एवं दूसरा दल सरकार ना बना पाए तो भी ये लागू होता हैं.
- यदि कोई राज्य जान भूजकर आंतरिक अशांति को भड़काए.
- यदि राज्य सरकार संवैधानिक दायित्यों का पालन ना करे.
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि भारत में सबसे पहला राष्ट्रपति शासन 1951 में पंजाब में लगा था. अभी तक इंडिया में 125 बार राष्ट्रपति शासन लगाया जा चुका है. इसके लागू होने के 2 महीने के अंदर संसद के दोनों सदनों को अनुमोदन करना आवश्यक होता हैं. दोनों सदनों का अनुमोदन होता हैं तो ये राष्ट्रपति शासन छह महीने तक चलाया जा सकता हैं.