दक्षिण एशिया में पाई जाने वाली इस खास सब्जी की खेती से मिलेगा पैसों का अम्बार। कंदरू जिसे टिंडोरा या कुंदरू भी कहा जाता है, एक बेल वाली सब्जी है जो गर्म और आर्द्र जलवायु में अच्छी तरह बढ़ती है। इसकी खेती मुख्य रूप से भारत, बांग्लादेश और दक्षिण एशिया के अन्य हिस्सों में की जाती है। आइए इसकी खेती के बारे में विस्तार से बताते है।
कंदरू की खेती के लिए जलवायु और मिट्टी
कंदरू की खेती गर्म और आर्द्र जलवायु में होती है। अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। pH मान लगभग 6.0-7.5 के बीच हो तो बेहतर उत्पादन मिलता है।
कंदरू की खेती कैसे करें
कंदरू की खेती मुख्यतः कटिंग कलम या जड़ रहित बेल के टुकड़ों से की जाती है। अच्छे उत्पादन के लिए स्वस्थ और रोगमुक्त कटिंग का चयन करें। कटिंग को 30-45 सेमी की दूरी पर और 1-2 इंच गहराई में लगाएं। इसकी कतारों के बीच 1.5-2 मीटर की दूरी रखें। गर्मी के मौसम में 4-5 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें।
मानसून में अधिक जलभराव से बचें। जैविक खाद, गोबर खाद, और वर्मी कम्पोस्ट डालने से अच्छी पैदावार मिलती है। नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का संतुलित उपयोग करें। रोपाई के 75-90 दिनों बाद फल तोड़ने योग्य हो जाते हैं। फसल को 2-3 दिन के अंतराल में तुड़ाई करें। प्रति हेक्टेयर 8-12 टन तक उत्पादन मिल सकता है।
कंदरू से कमाई
कंदरू की मांग सब्जी मंडियों में अच्छी होती है। यह निरंतर उत्पादन देने वाली फसल है, जिससे किसानों को नियमित आय मिलती है। अगर आप कंदरू की खेती करना चाहते हैं, तो उचित देखभाल और जैविक तरीकों का उपयोग करके अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। 1 एकड़ जमीन में साल भरे में 20 लाख रूपए की कमाई की जा सकती है।