दक्षिण भारत में पाए जाने वाले इस मूल्यवान पेड़ की खेती किसानो को बनाएगी करोड़ो का मालिक, झमाझम बरसेगा पैसा। लाल चंदन एक मूल्यवान वृक्ष है, जो मुख्य रूप से दक्षिण भारत में पाया जाता है। इसकी लकड़ी का उपयोग दवा, सजावट, फर्नीचर और सौंदर्य प्रसाधनों में किया जाता है। इसकी खेती से किसानों को बड़ा आर्थिक लाभ हो सकता है। आइए इसकी खेती के बारे में विस्तार से बताते है।
लाल चन्दन की खेती के लिए जलवायु और मिट्टी
लाल चंदन उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में अच्छी तरह बढ़ता है। यह शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में भी जीवित रह सकता है। लाल चंदन की खेती के लिए लाल बलुई मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी आवश्यक है। pH मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए।
लाल चन्दन की खेती कैसे करें
खेत को गहरी जुताई करें और खरपतवार निकाल दें। जैविक खाद मिलाएं। जल निकासी का उचित प्रबंध करें। पौधों को बीज या कटिंग से तैयार किया जाता है। रोपण का सही समय मानसून में होता है। चन्दन पौधों के बीच 10×10 फीट की दूरी रखें। गड्ढों का आकार 45×45×45 सेमी रखें और इसमें जैविक खाद डालें। शुरुआती 2-3 वर्षों तक गर्मियों में 15-20 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।
बरसात के मौसम में सिंचाई की जरूरत नहीं होती। बड़े पेड़ों को कम पानी की जरूरत होती है। प्रति वर्ष प्रति पौधा 5-10 किलो गोबर की खाद डालें। जैविक खेती के लिए वर्मीकंपोस्ट और हरी खाद का प्रयोग करें। नियमित रूप से खरपतवार निकालें। दीमक और तना छेदक कीटों से बचाने के लिए नीम का तेल या जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें। लाल चंदन वृक्ष 10-15 वर्षों में पूरी तरह परिपक्व हो जाता है। जब पेड़ 15-20 सेमी व्यास का हो जाए, तब इसकी कटाई करें। लकड़ी को कानूनी अनुमति के बाद ही बेचा जा सकता है।
लाल चन्दन से कमाई
लाल चन्दन की खेती में आप 1 एकड़ में 400-500 पौधे लगाए जा सकते हैं। एक पेड़ से 5-10 किलोग्राम लकड़ी प्राप्त होती है। बाजार में लाल चंदन की लकड़ी की कीमत ₹5000-₹15000 प्रति किलोग्राम हो सकती है। एक एकड़ से 3-5 करोड़ रुपये तक का मुनाफा संभव है।