Pakistani Eletric Train: पाकिस्तान के रेलवे प्रणाली में इलेक्ट्रिफिकेशन का सफर बेहद उथल-पुथल भरा रहा है. आज हम जानेंगे कि किन कारणों से पाकिस्तान ने अपनी इलेक्ट्रिफिकेशन परियोजनाओं को रोक दिया और क्यों आज भी पाकिस्तान में ट्रेनें डीजल से ही चलती हैं.
सेवा की शुरुआत और असफलता
सन 2009 में पाकिस्तान ने अपनी पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन सेवा (electric train service) का आरंभ किया. यह ट्रेन लाहौर से खनेवाल के बीच चलाई गई थी और इसने लगभग 300 किलोमीटर की दूरी तय की. हालांकि, विभिन्न कारणों की वजह से यह सेवा महज एक साल बाद ही बंद कर दी गई और उसी रूट पर फिर से डीजल ट्रेन (diesel train) सेवा शुरू कर दी गई.
इलेक्ट्रिफिकेशन की चुनौतियाँ
बिजली से चलने वाली ट्रेनें बंद होने के पीछे मुख्य दो कारण थे: चोरी और धन की कमी. रात के समय सुरक्षित छोड़े गए सामान जैसे कॉपर वायर और कंडक्टर (copper wire and conductors) की चोरी एक बड़ी समस्या बन गई थी. इसके अलावा, पैसों की कमी के कारण पाकिस्तान सरकार इस प्रोजेक्ट को आगे नहीं बढ़ा पाई.
आर्थिक संकट और इलेक्ट्रिक ट्रेनों का कबाड़
पाकिस्तान रेलवे के पास मौजूद इलेक्ट्रिक इंजन अब कबाड़ में बदलते जा रहे हैं क्योंकि उनका उपयोग नहीं हो रहा है. कुछ इंजनों का रखरखाव किया जा रहा है ताकि भविष्य में यदि इलेक्ट्रिक ट्रेन सेवा फिर से शुरू होती है तो उनका उपयोग संभव हो सके.
भारत की स्थिति
वहीं, भारत में ट्रेनों का इलेक्ट्रिफिकेशन तेजी से हुआ है और अधिकांश प्रमुख रूट्स पर इलेक्ट्रिक ट्रेनें ही चल रही हैं. भारत सरकार के अनुसार, वर्तमान में भारतीय रेलवे की कुल लाइनों का लगभग 97% हिस्सा इलेक्ट्रिफाइड है.