चने की कटाई का सही तरीका अपनाए जबरदस्त उपज के साथ गुणवत्ता में होगा सुधार। चने की कटाई एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो फसल की गुणवत्ता और उपज को प्रभावित करती है। अगर सही तरीके से कटाई और बाद की प्रक्रियाएं की जाएं तो उपज अच्छी मिलती है और अनाज सुरक्षित रहता है। चने की कटाई का सही तरीका इसके बारे में विस्तार से बताते है।
कटाई का सही समय पहचानना
चने की कटाई का सबसे सही समय तभी होता है जब पौधों की पत्तियाँ पीली पड़ने लगें और सूखने लगें। फलीयाँ भूरे रंग की हो जाएं और पूरी तरह पक जाएं। दानों में नमी लगभग 12-15% रह जाए।
कटाई का तरीका
कटाई सुबह के समय करनी चाहिए जब नमी थोड़ी बनी हो, ताकि दाने झड़ें नहीं। हँसिया या दरांती से पौधों को जमीन से कुछ ऊपर से काटें। कटाई करते समय ध्यान रखें कि पौधे ज्यादा टूटे-फूटे नहीं ताकि दाने न झड़ें। मशीन से कटाई भी कर सकते हैं, लेकिन चना आमतौर पर हाथ से ही काटा जाता है।
कटाई के बाद की प्रक्रिया
गट्ठर बनाना
कटे हुए पौधों को छोटे-छोटे गट्ठर में बाँधकर धूप में 4-5 दिन तक सुखाएँ ताकि फलीयाँ पूरी तरह सूख जाएं।
थ्रेशिंग
जब फलीयाँ अच्छी तरह सूख जाएँ तो डंडों से पीटकर या बैल/ट्रैक्टर से मड़ाई करें। मड़ाई करते समय ध्यान रखें कि दाने टूटें नहीं।
सफाई और ग्रेडिंग
मड़ाई के बाद भूसी और कचरे को छानकर साफ करें। दानों को आकार और गुणवत्ता के अनुसार छाँट लें।
भंडारण
दानों को पूरी तरह सूखाकर भंडारण करें। भंडारण से पहले दानों में कीट-नाशक डाल सकते हैं ताकि कीट न लगें। अनाज को सूखे और हवादार गोदाम में बोरी या प्लास्टिक कंटेनर में रखें।
सावधानियाँ
अधिक देरी करने पर फलीयाँ ज्यादा सूख जाती हैं और दाने झड़ने लगते हैं। बारिश के मौसम में कटाई न करें, इससे दाने खराब हो सकते हैं। कटाई और मड़ाई के समय दानों की टूट-फूट से बचें।