आपको बता दें कि हल्दी की खेती के लिए रेतीली दोमट मिट्टी या मटियार दोमट मिट्टी अच्छी होती है। हल्दी की बुआई का समय अलग-अलग किस्मों के आधार पर 15 मई से लेकर 30 जून के बीच होता है। हल्दी की बुआई के लिए लाइन से लाइन की दूरी 30-40 सेमी और पौध से पौध की दूरी 20 सेमी रखनी चाहिए। इसके साथ ही हल्दी की बुआई के लिए 6 क्विंटल प्रति एकड़ बीज की ज़रूरत होती है।
कितने समय में होती है तैयार
हल्दी की खेती के लिए खेत में अपनी पानी निकासी की अच्छी होनी चहिये इसके साथ ही फसल 8 से 10 दिन में तैयार हो जानी चाहिए आमतौर पर फसल की कटाई जनवरी और मार्च महीने में हो जाती है लेकिन त्तियां सूख जाती हैं और हल्के भूरे से पीले रंग की हो जाती हैं. हल्दी की खेती आसानी से की जा सकती है और इसे छाया में भी उगाया जा सकता है. किसानों को इसकी खेती करते वक्त नियमित रूप से निराई-गुड़ाई करनी चाहिए. जिससे खरपतवारों की वृद्धि रुकती है और फसल को पोषक तत्वों की प्राप्ति होती है।
हल्दी की बेहतरी किस्में
फसल तैयार होने में लगे समय के आधार पर इसकी किस्मों को तीन वर्गों में वर्गीकृत किया गया है।
आपको बता दे, यह कम समय में तैयार होने वाली ‘कस्तुरी’ वर्ग की किस्में – रसोई में उपयोगी, 7 महीने में फसल तैयार, उपज कम. जैसे-कस्तुरी पसुंतु।
मध्यम समय में तैयार होने वाली केसरी वर्ग की किस्में – 8 महीने में तैयार, अच्छी उपज, अच्छे गुणों वाले कंद। जैसे-केसरी, अम्रुथापानी, कोठापेटा।
लंबी अवधि वाली किस्में – 9 महीने में तैयार, सबसे अधिक उपज, गुणों में सर्वेश्रेष्ठ। जैसे दुग्गीराला, तेकुरपेट, मिदकुर, अरमुर।
इसके साथ ही व्यवसायिक स्तर पर दुग्गीराला व तेकुपेट की खेती इनकी उच्च गुणवत्ता के कारण की जाती है।
इसके अलावा, मीठापुर, राजेन्द्र सोनिया, सुगंधम, सुदर्शना, रशिम व मेघा हल्दी-1 हल्दी की अन्य किस्में है.