Home Loan EMI: होम लोन आपके सपनों के घर को हकीकत में बदलने की कुंजी तो है, लेकिन इसे लेने से पहले इसकी जटिलताओं को समझना बेहद जरूरी है. अक्सर, होम लोन उस समय एक भारी बोझ बन जाता है जब इसकी अवधि अनायास ही बढ़ जाती है, जिससे न केवल आपकी वित्तीय योजनाएं प्रभावित होती हैं बल्कि आर्थिक तनाव भी बढ़ता है. आज हमआपको इस आर्टिकल में बताएंगे कि कैसे इस स्थिति से निपटा जा सकता है.
होम लोन की मुश्किलें और उनसे निपटने के उपाय
जब आप होम लोन लेते हैं, तो आमतौर पर इसकी अवधि 20 साल से 30 साल के बीच होती है. लोन की लंबी अवधि का मतलब होता है अधिक समय तक ब्याज का भुगतान करना, जो कि आपकी कुल लागत को काफी बढ़ा सकता है. यही नहीं, अगर ब्याज दर में वृद्धि होती है, तो इससे आपकी EMI बढ़ सकती है या लोन की अवधि और भी लंबी हो सकती है.
फ्लोटिंग रेट्स और उनका असर
होम लोन पर ब्याज दरें आमतौर पर फ्लोटिंग होती हैं, यानी ये बाजार दरों के अनुसार ऊपर नीचे हो सकती हैं. जब ब्याज दरें बढ़ती हैं, तो आपकी EMI या तो बढ़ जाती है, या फिर लोन की अवधि बढ़ जाती है. अक्सर, बैंक लोन की अवधि बढ़ा देते हैं क्योंकि इससे उन्हें अधिक समय तक ब्याज मिलता रहता है.
ईएमआई और लोन अवधि के चयन में सावधानी
लोन लेते समय ईएमआई और लोन की अवधि चुनते समय सावधानी बरतें. यदि आप ब्याज दरें बढ़ने पर EMI नहीं बढ़ाते हैं, तो आपकी लोन अवधि अनावश्यक रूप से बढ़ सकती है. इसका मतलब होगा कि आप अनुमानित समय से अधिक समय तक ब्याज देते रहेंगे, जिससे आपकी कुल लागत में वृद्धि होगी.
ब्याज दर बढ़ने पर क्या करें?
यदि ब्याज दर में बढ़ोतरी होती है तो अपने बैंक से संपर्क करें और अपनी EMI बढ़वाने का अनुरोध करें. इससे आपकी लोन अवधि में बढ़ोतरी नहीं होगी और आपको अधिक समय तक ब्याज नहीं देना पड़ेगा. इसे Loan Restructuring के रूप में जाना जाता है.