EPFO Rule : निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के वेतन का एक भाग भविष्य निधि (पीएफ) में जाता है, जो हर महीने उनके पीएफ खाते में जमा होता है। कुछ निश्चित शर्तों को पूरा करने पर ही वे पेंशन के लिए पात्र होते हैं। ऐसे में चलिए आइए नीचे खबर में जान लेते है कि आखिर दस साल की नौकरी के बाद पीएफ खाताधारकों को कितनी पेंशन मिलेगी-
निजी क्षेत्र में काम करने वाले अधिकांश लोग अपनी आय का कुछ हिस्सा भविष्य की आर्थिक सुरक्षा के लिए बचाते और निवेश करते हैं, और PF एक बेहतरीन विकल्प है। यह खाताधारकों को EPS-95 के तहत पेंशन का लाभ देकर सेवानिवृत्ति के बाद की वित्तीय चिंताओं को काफी हद तक कम कर देता है। हालांकि, इस लाभ को प्राप्त करने के लिए खाताधारकों को कुछ शर्तों का पालन करना होता है।
क्या है EPS?
पीएफ खाताधारकों के लिए यह समझना ज़रूरी है कि EPS यानी कर्मचारी पेंशन योजना क्या है। अक्सर लोग इसे लेकर भ्रमित रहते हैं। यह एक पेंशन स्कीम है, जिसे कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) द्वारा प्रबंधित किया जाता है। इस योजना में मौजूदा और नए ईपीएफ सदस्य शामिल होते हैं। इसका लाभ उठाने के लिए कर्मचारी को केवल एक शर्त पूरी करनी होती है। ईपीएफओ के नियमों (EPFO Rules) के अनुसार, कोई भी कर्मचारी 10 साल की नौकरी के बाद पेंशन पाने का हकदार हो जाता है। यह सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
EPFO करता है मैनेज-
कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (EPS-95) को ईपीएफओ (EPFO) ने 19 नवंबर, 1995 को शुरू किया था, जो कि संगठित क्षेत्र में कर्मचारियों के रिटायरमेंट की जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से एक सामाजिक सुरक्षा कि पहल है। इसे EPFO द्वारा मैनेज किया जाता है और यह योजना 58 वर्ष की आयु तक पहुंचने वाले पात्र कर्मचारियों को पेंशन लाभ (pension benefit) की गारंटी देती है। नियमों को देखें तो 9 साल 6 महीने की सर्विस को भी 10 साल के बराबर काउंट किया जाता है। अगर नौकरी का वक्त साढ़े 9 साल से कम है, तो फिर उसे 9 साल ही गिना जाएगा, ऐसी स्थिति में कर्मचारी Pension Account में जमा राशि को रिटायरमेंट (retirement) की उम्र से पहले भी निकाल सकते हैं लेकिन वे पेंशन के हकदार नहीं होते हैं।
PF की कैलकुलेशन-
प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगों की सैलरी का एक बड़ा हिस्सा PF के तौर पर कटता है, जो हर महीने कर्मचारी के PF अकाउंट में डिपॉजिट (deposit) हो जाता है। अगर आप 10 साल तक प्राइवेट नौकरी भी कर लेते हैं तो पेंशन लेने के हकदार हो जाते हैं। नियम के मुताबिक, कर्मचारी की बेसिक सैलरी+DA का 12 फीसदी हिस्सा हर महीने PF अकाउंट में जमा होता है। जिसमें से कर्मचारी का पूरा हिस्सा EPF में जाता है, जबकि नियोक्ता का 8.33% हिस्सा कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) में जाता है और 3.67% हर महीने EPF में जाता है।
10 साल से कम टेन्योर पर सवाल-
बताया गया कि 10 साल की नौकरी करने के बाद ही पेंशन पक्की हो जाती है, तो अब सवाल उठता है कि अगर कर्मचारी ने 5-5 साल के लिए दो अलग-अलग संस्थानों में काम किया है, तो फिर क्या होगा? या दोनों नौकरी के बीच दो साल का गैप था, तो क्या वो कर्मचारी पेंशन (employees pension) का हकदार होगा या नहीं? नियम देखें तो जॉब में गैप के बावजूद पूरी नौकरी को जोड़कर 10 साल का टेन्योर पूरा करने पर भी पेंशन का लाभ मिलता है। यहां जरूरी है कि हर नौकरी में कर्मचारी अपना UAN नंबर न बदलें, पुराना UAN नंबर ही जारी रखना होगा। यानी कुल 10 साल का टेन्योर सिंगल UAN पर पूरा होना चाहिए। क्योंकि अगर नौकरी बदलने से बाद भी UAN एक ही रहता है और पीएफ खाते (PF Account) में जमा पूरा पैसा उसी UAN में दिखेगा।
UAN नंबर क्या है?
यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) 12 अंकों का एक नंबर होता है, जो कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) हर सदस्य को देता है। यह नंबर कर्मचारी के पूरे करियर में स्थिर रहता है और नौकरी बदलने के बाद भी एक ही रहता है। यूएएन से जुड़ी कई सदस्य आईडी हो सकती हैं, लेकिन ये सभी एक ही यूएएन से जुड़ी होती हैं।