School Fee Hike: उत्तर प्रदेश के सरकारी और सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक स्कूलों में 2025-26 शैक्षणिक सत्र के लिए कक्षा 9वीं से 12वीं तक की फीस में 180% से 200% तक की बढ़ोतरी को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मंजूरी दे दी है. यह बढ़ी हुई फीस तत्काल प्रभाव से लागू कर दी गई है.
2010 के बाद पहली बार बढ़ी स्कूल फीस
प्रदेश के माध्यमिक स्कूलों में 2010 के बाद पहली बार फीस बढ़ाई गई है. पिछले वर्षों में कई बार प्रस्ताव तो आए लेकिन क्रियान्वयन नहीं हो सका. अब जाकर शिक्षा विभाग ने लंबे अंतराल के बाद शुल्क में बदलाव किया है.
9वीं और 10वीं में कितनी बढ़ी फीस?
- पहले: सालाना ₹394 (हर महीने लगभग ₹33)
- अब: सालाना ₹1130 (हर महीने ₹94)
- बढ़ोतरी: प्रति छात्र ₹736 सालाना यानी हर महीने ₹61 अतिरिक्त
इस बदलाव के बाद 9वीं और 10वीं कक्षा के छात्रों को करीब तीन गुना ज्यादा फीस देनी होगी.
11वीं और 12वीं में बढ़ी कितनी फीस?
- पहले: सालाना ₹462 (हर महीने ₹38.50)
- अब: सालाना ₹1290 (हर महीने ₹107.50)
- बढ़ोतरी: सालाना ₹828 यानी हर महीने ₹69 अतिरिक्त
इससे साफ है कि इंटरमीडिएट के छात्रों की मासिक फीस में 80% से ज्यादा की वृद्धि हुई है.
कितने छात्रों पर पड़ेगा असर?
उत्तर प्रदेश के लगभग 2540 राजकीय स्कूल और 4512 एडेड स्कूल में पढ़ने वाले करीब 30 लाख छात्रों पर यह नया शुल्क ढांचा लागू होगा. इसका सीधा असर मध्यम और निम्न आय वर्ग के अभिभावकों के मासिक बजट पर पड़ेगा.
क्यों जरूरी पड़ी फीस बढ़ाने की?
शिक्षा विभाग का कहना है कि लंबे समय से किसी तरह की वृद्धि नहीं की गई थी. जबकि स्कूल संचालन और संसाधनों की लागत बढ़ती जा रही है. साथ ही कक्षा 5वीं से 8वीं तक की पढ़ाई पर शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत फ्री शिक्षा लागू है. लेकिन कक्षा 9 से ऊपर शुल्क लेने की अनुमति है.
फीस के अलावा अन्य मदों में भी बढ़ोत्तरी
न सिर्फ ट्यूशन फीस बल्कि अन्य शैक्षणिक मदों जैसे परीक्षा शुल्क, विकास शुल्क, प्रयोगशाला शुल्क आदि में भी आंशिक बढ़ोत्तरी की गई है. जिससे कुल मिलाकर सालाना खर्च में काफी इजाफा हो गया है.