Train Ticket Rules: भारत एक विशाल देश है और यहां की रेल सेवाएं इसे एक छोर से दूसरे छोर तक जोड़ने का अहम माध्यम हैं. भारतीय रेलवे को देश की जीवनरेखा कहा जाता है, क्योंकि यह कश्मीर से कन्याकुमारी और गुजरात से असम तक फैले विशाल नेटवर्क के जरिए लोगों को जोड़ती है.
हर दिन 13 हजार ट्रेनें, 2 करोड़ से ज्यादा यात्री करते हैं सफर
देशभर में हर दिन लगभग 13 हजार ट्रेनें चलती हैं. जिनमें करीब 2 करोड़ यात्री यात्रा करते हैं. लंबी दूरी तय करने का यह एक सस्ता, सुरक्षित और सुविधाजनक साधन है. जिसे भारत के लाखों लोग रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल करते हैं.
ट्रेन यात्रा क्यों है सबसे लोकप्रिय
भारत में यात्रा के लिए ज्यादातर लोग रेल यात्रा को ही प्राथमिकता देते हैं. यह न केवल जेब पर हल्की पड़ती है. बल्कि लंबी दूरी के लिए सुविधाजनक और भरोसेमंद भी मानी जाती है. खासतौर पर जब परिवार बच्चों के साथ सफर करता है, तो ट्रेन एक बेहतर विकल्प बन जाती है.
कितनी उम्र तक नहीं लगता किराया?
अक्सर यात्रियों के मन में सवाल आता है – क्या बच्चों को भी ट्रेन टिकट लेना जरूरी है? इसका सीधा जवाब है – अगर बच्चे की उम्र 1 साल से 4 साल के बीच है, तो उसे ट्रेन में टिकट लेने की जरूरत नहीं होती. इस आयु वर्ग के बच्चों के लिए न टिकट जरूरी है, न रिजर्वेशन.
5 से 12 साल तक के बच्चों के लिए क्या है टिकट व्यवस्था?
अगर बच्चा 5 साल से ऊपर और 12 साल से कम उम्र का है, तो उसके लिए टिकट लेना अनिवार्य है. लेकिन यात्री की सुविधा के लिए रेलवे ने एक विकल्प और रखा है. अगर आप बच्चे के लिए अलग से सीट नहीं लेना चाहते, तो आप उसके लिए हाफ टिकट (आधा किराया) ले सकते हैं. हालांकि यदि आप चाहते हैं कि बच्चे को पूरी सीट मिले, तो आपको पूरा टिकट खरीदना होगा.
बच्चों के टिकट से जुड़े नियम जानना क्यों है जरूरी?
बच्चों की उम्र के अनुसार टिकट की जांच और रिजर्वेशन प्रक्रिया अलग होती है. ऐसे में अगर आप ट्रेन में परिवार के साथ सफर की योजना बना रहे हैं, तो इन नियमों को पहले से जानना आपके लिए फायदेमंद रहेगा. इससे न केवल आपका सफर सुगम होगा. बल्कि आप बिना किसी जुर्माने या परेशानी के यात्रा कर सकेंगे.