LPG Delivery Fraud: एलपीजी गैस सिलेंडर अब हर भारतीय रसोई की जरूरत बन चुका है. प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में भी एलपीजी का उपयोग तेजी से बढ़ा है. लेकिन अक्सर ऐसा देखा गया है कि उपभोक्ताओं को अधूरा भरा सिलेंडर थमा दिया जाता है और उन्हें इस बात का पता भी नहीं चलता. ऐसे में जरूरी है कि डिलीवरी लेते समय सिलेंडर की जांच की जाए ताकि धोखाधड़ी से बचा जा सके.
क्यों होता है गैस की चोरी का संदेह?
शहरों से लेकर गांवों तक, उपभोक्ता डिलीवरी बॉय पर अंधा भरोसा कर लेते हैं. सील देखकर मान लिया जाता है कि सिलेंडर ठीक है. लेकिन कई बार देखा गया है कि सिलेंडर से गैस चोरी कर ली जाती है और फिर उसे डिलीवर कर दिया जाता है. इससे आपके पैसे भी बर्बाद होते हैं और गैस जल्दी खत्म हो जाती है.
खाली और भरे सिलेंडर के वजन को जानना है जरूरी
एलपीजी सिलेंडर में गैस की मात्रा को सही तरीके से जानने के लिए आपको उसका कुल वजन जानना जरूरी है. हर सिलेंडर के ऊपरी हिस्से या हैंडल पर खाली वजन यानी टेयर वेट (Tare Weight) लिखा होता है, जैसे 15.3 Kg या 16.0 Kg.
कितना होना चाहिए भरे सिलेंडर का वजन?
एक घरेलू सिलेंडर में आमतौर पर 14.2 किलोग्राम एलपीजी गैस होती है. अगर आपके सिलेंडर पर टेयर वेट 15.3 Kg लिखा है, तो इसका मतलब यह हुआ कि सिलेंडर में पूरी गैस हो तो उसका कुल वजन (15.3 + 14.2 = 29.5 Kg) होना चाहिए.
सिलेंडर की तौल कैसे करें?
जब डिलीवरी बॉय सिलेंडर लेकर आए, तो तत्काल उसे तौलने की मांग करें. हर डिलीवरी बॉय के पास वजन मापने की मशीन (Weighing Scale) होना अनिवार्य है. सिलेंडर को मशीन पर रखें और कुल वजन नोट करें. यदि यह वजन आपके अनुमानित वजन (जैसे 29.5 Kg) के आसपास है, तो इसका मतलब है कि आपको पूरी मात्रा में गैस दी गई है.
वजन कम निकले तो क्या करें?
अगर सिलेंडर का तौला गया वजन अनुमानित वजन से काफी कम है, तो आप सिलेंडर लेने से मना कर सकते हैं. इसके अलावा आप गैस एजेंसी में शिकायत दर्ज करा सकते हैं. इससे न सिर्फ आप अपना नुकसान बचा सकते हैं. बल्कि अन्य उपभोक्ताओं को भी सतर्क कर सकते हैं.
उपभोक्ता के अधिकार और सावधानी
- डिलीवरी लेते समय ही वजन की जांच करें
- टेयर वेट पढ़ना सीखें और उसे याद रखें
- सील देखकर ही भरोसा न करें
- संदेह होने पर डिलीवरी बॉय से सवाल करें
- गैस एजेंसी की हेल्पलाइन पर तुरंत शिकायत करें
घरेलू उपभोक्ताओं के लिए जरूरी सलाह
सरकार और तेल कंपनियां उपभोक्ताओं को सुरक्षा और पारदर्शिता का भरोसा देती हैं. लेकिन खुद उपभोक्ता को भी जागरूक रहना होगा. जब तक लोग अपने अधिकारों के प्रति सतर्क नहीं होंगे. तब तक ऐसी समस्याएं खत्म नहीं होंगी.