Paid Holiday: लुधियाना-पश्चिम विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर 19 जून 2025 को वोटिंग निर्धारित की गई है. इस अवसर पर पंजाब सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए इस दिन को सवेतन अवकाश घोषित किया है. यह आदेश खासतौर पर मतदान के अधिकार को बढ़ावा देने और लोकतांत्रिक भागीदारी को मजबूत करने के मकसद से लिया गया है.
सभी संस्थानों पर समान रूप से लागू होगा अवकाश
राज्य सरकार के निर्देश के अनुसार यह सवेतन अवकाश सिर्फ सरकारी कार्यालयों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह सभी प्रकार के औद्योगिक संस्थानों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों, दुकानों और निजी संस्थाओं पर भी लागू होगा. यानी छोटे दुकानदारों से लेकर बड़े उद्यमों तक सभी को अपने कर्मचारियों को मतदान का अवसर देना होगा.
शिफ्ट आधारित काम करने वाले कर्मचारी भी होंगे शामिल
फैक्ट्रियों, कॉल सेंटर और अन्य संस्थानों में जहां शिफ्ट में काम करने की प्रणाली है. वहां भी यह अवकाश लागू रहेगा. अगर कोई कर्मचारी लुधियाना-पश्चिम की मतदाता सूची में पंजीकृत है, तो वह इस दिन अपनी शिफ्ट से छुट्टी लेकर मतदान कर सकेगा और उसे पूरा वेतन भी मिलेगा.
दूसरे शहरों में काम करने वालों को भी मिलेगा मतदान का अधिकार
यह आदेश उन कर्मचारियों के लिए भी राहत लेकर आया है जो लुधियाना-पश्चिम क्षेत्र के मतदाता हैं, लेकिन दूसरे शहरों में कार्यरत हैं. यदि कोई कर्मचारी चंडीगढ़, पटियाला, अमृतसर या किसी अन्य शहर में नौकरी कर रहा है और उसका नाम लुधियाना-पश्चिम की वोटर लिस्ट में दर्ज है, तो उसे भी 19 जून को अवकाश प्रदान किया जाएगा ताकि वह जाकर अपने क्षेत्र में मतदान कर सके.
दैनिक वेतनभोगी श्रमिकों को भी मिलेगी सुविधा
दिहाड़ी मजदूरी करने वाले श्रमिक, जिनकी आय प्रतिदिन काम करने पर निर्भर करती है. उन्हें भी इस सवेतन अवकाश का लाभ मिलेगा. यानी वे काम से छुट्टी लेकर मतदान कर सकेंगे और फिर भी उन्हें वेतन मिलेगा. यह निर्णय खासतौर पर उन लोगों के लिए राहत है जो आमतौर पर काम के कारण मतदान नहीं कर पाते.
लोकतंत्र को सशक्त बनाने की दिशा में बड़ा कदम
सरकार का मानना है कि हर नागरिक को मतदान का अधिकार प्रयोग करने का उचित अवसर मिलना चाहिए. इसके लिए जरूरी है कि संस्थान अपने कर्मचारियों को छुट्टी दें. इस आदेश के माध्यम से प्रशासन ने स्पष्ट संकेत दिया है कि लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए सबका सहयोग आवश्यक है.
किसी को काम पर बुलाना प्रतिबंधित
सरकार के निर्देशों के अनुसार यदि कोई कर्मचारी संबंधित क्षेत्र की मतदाता सूची में शामिल है, तो नियोक्ता उसे कार्यस्थल पर आने के लिए बाध्य नहीं कर सकता. ऐसा करने पर संबंधित संस्थान के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई की जा सकती है. यह आदेश कानूनी रूप से बाध्यकारी है.
भागीदारी बढ़ेगी, लोकतंत्र होगा सशक्त
इस पहल से उन लाखों कर्मचारियों और श्रमिकों को मतदान का अधिकार प्रयोग करने का मौका मिलेगा जो अब तक कार्यभार या दबाव के चलते वोट डालने नहीं जा पाते थे. सरकार की यह व्यवस्था मतदान प्रतिशत बढ़ाने में मदद करेगी और जन-प्रतिनिधित्व की प्रक्रिया को अधिक न्यायपूर्ण बनाएगी.