Onion Price Hike: दक्षिण और मध्य भारत में मई महीने के दौरान हुई भारी बारिश ने किसानों के लिए संकट खड़ा कर दिया है. महाराष्ट्र, जो देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक राज्य है, वहां भारी वर्षा के चलते हजारों टन प्याज की फसल बर्बाद हो गई है. इससे जहां किसानों को करोड़ों का नुकसान हुआ है, वहीं बाजार में प्याज की कीमतों में संभावित उछाल की आशंका भी जताई जा रही है.
महाराष्ट्र के 14 जिलों में बर्बादी
29 मई को महाराष्ट्र राज्य कांदा उत्पादक संगठन ने एक पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से फसल नुकसान पर मुआवजे की मांग की. संगठन ने बताया कि 6 मई से हुई भारी बारिश ने जलगांव, धुले, नासिक, पुणे, सोलापुर, बीड, अकोला और अन्य जिलों को बुरी तरह प्रभावित किया है. इस बारिश के चलते रबी सीजन की प्याज की पूरी फसल या तो खेतों में ही नष्ट हो गई या भंडारण से पहले सड़ गई.
1 लाख रुपए प्रति एकड़ और 2000 रुपए प्रति क्विंटल सब्सिडी की मांग
संगठन ने राज्य सरकार से मांग की है कि प्रभावित किसानों को प्रति एकड़ ₹1 लाख का मुआवजा दिया जाए. वहीं जिन किसानों ने कटाई तो की लेकिन प्याज भंडारित नहीं कर पाए, उनके लिए ₹2000 प्रति क्विंटल की सब्सिडी की मांग की गई है. पत्र में कहा गया कि हजारों टन प्याज खेतों में सड़ चुका है, जिससे किसानों को करोड़ों का नुकसान हुआ है और अब उनके पास बचत के कोई विकल्प नहीं बचे हैं.
नैफेड से पारदर्शी खरीद प्रक्रिया की मांग
भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) द्वारा पारदर्शी तरीके से प्याज की खरीद की भी मांग की गई है. संगठन ने आग्रह किया कि केंद्रीय बफर स्टॉक के लिए न्यूनतम ₹3,000 प्रति क्विंटल की दर पर तीन लाख टन प्याज खरीदा जाए. इससे न सिर्फ किसानों को राहत मिलेगी. बल्कि बाजार में कीमतें स्थिर रखने में भी मदद मिलेगी.
क्या प्याज फिर से पहुंच जाएगा ₹100 किलो?
प्याज की फसल बर्बाद होने से आने वाले हफ्तों में कीमतों में उछाल की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. पिछले वर्षों में भी ऐसे हालातों में प्याज के दाम ₹80-₹100 प्रति किलो तक पहुंच चुके हैं. इस बार भी अगर बारिश के कारण सप्लाई बाधित रही, तो महंगाई फिर सिर उठा सकती है. हालांकि सरकारी खरीद और स्टॉक नीतियों पर काफी कुछ निर्भर करेगा.
राज्य सरकार से त्वरित राहत की मांग
कांदा उत्पादक संगठन ने राज्य सरकार से नुकसान का त्वरित और सही आकलन करने की अपील की है. साथ ही प्रभावित किसानों को जल्द से जल्द राहत देने की मांग की गई है ताकि खरीफ सीजन की तैयारियों में वे पीछे न रह जाएं. संगठन ने चेताया है कि अगर अब मदद नहीं मिली, तो कई किसान दोबारा फसल लगाने की स्थिति में नहीं रहेंगे.

 
			 
                                 
                              
		 
		 
		 
		