Joint Land Ownership: हरियाणा सरकार ने भूमि विवादों को खत्म करने के लिए बड़ा कदम उठाया है. अब संयुक्त परिवारों के बीच भूमि स्वामित्व के झगड़े जल्दी और प्रभावी तरीके से सुलझाए जा सकेंगे. इसके लिए राज्य सरकार ने ‘हरियाणा भूमि-राजस्व (संशोधन) अधिनियम, 2025’ को लागू कर दिया है. यह नया कानून वर्षों से लंबित मामलों को निपटाने में किसानों और नागरिकों के लिए वरदान साबित हो सकता है.
संयुक्त परिवारों की जटिल समस्या का हल
संयुक्त परिवारों में साझा भूमि स्वामित्व के कारण अकसर विवाद होते हैं. अब तक अगर सभी सह-स्वामी बंटवारे के पक्ष में न होते, तो विभाजन की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाती थी. लेकिन इस संशोधन के तहत अब सरकार बिना सभी की सहमति के भी भूमि का बंटवारा करवा सकेगी.
वित्त आयुक्त एवं गृह विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा ने बताया कि यह अधिनियम परिवारों में लंबे समय से चली आ रही जमीन की खींचतान को खत्म करने में मदद करेगा.
धारा 111-ए का विस्तार
नए कानून के अंतर्गत धारा 111-ए का दायरा बढ़ा दिया गया है. अब यह प्रावधान लगभग सभी साझेदारों पर लागू होगा. केवल पति-पत्नी को अपवाद के रूप में बाहर रखा गया है. इसका सीधा मतलब है कि रक्त संबंधियों के बीच विवाद अब जल्द निपटेंगे.
राजस्व अधिकारी खुद लेंगे संज्ञान
अब राजस्व अधिकारी स्वतः संज्ञान लेते हुए विवादित जमीन मामलों में कार्रवाई शुरू कर सकेंगे. वे संयुक्त स्वामियों को नोटिस जारी करेंगे और छह महीने का समय देंगे, ताकि वे आपसी सहमति से विभाजन प्रक्रिया पूरी कर सकें. इससे भूमि रिकॉर्ड अपडेट होंगे और हर स्वामी को स्पष्ट अधिकार मिल सकेगा.
धारा 114 खत्म, अकेले भी हो सकेगा आवेदन
इस अधिनियम में सबसे बड़ा बदलाव यह है कि धारा 114 को समाप्त कर दिया गया है. पहले किसी भी जमीन के बंटवारे के लिए सभी साझेदारों की सहमति जरूरी होती थी. लेकिन अब एक अकेले सह-स्वामी के आवेदन पर भी बंटवारा किया जा सकेगा. भले ही अन्य सदस्य सहमत न हों.
अब न्यायालयों का बोझ होगा कम
इस संशोधन के माध्यम से भूमि से जुड़े अधिकांश विवादों को कोर्ट में जाने की आवश्यकता नहीं होगी. इससे न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या कम होगी और नागरिकों को त्वरित न्याय मिल सकेगा. सरकार ने यह कदम आम जनता की प्रशासनिक और सामाजिक सुविधा के लिए उठाया है.
हर भूमि मालिक को मिलेगा स्वतंत्र अधिकार
संशोधन का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य यह है कि हर भूमि स्वामी को उसके हिस्से पर स्वतंत्र स्वामित्व का अधिकार मिल सके. इससे वह अपनी जमीन का उपयोग बिना किसी झगड़े या कानूनी रोक-टोक के कर सकेगा. यह व्यवस्था किसानों, ग्रामीणों और आम नागरिकों के हित में है.