Daughters Property Rights : पिता की प्रोपर्टी में बेटा व बेटी का वैसे तो बराबर का हक होता है, लेकिन एक खास स्थिति में बेटियों को पिता की प्रोपर्टी में कोई हिस्सा नहीं मिलेगा और न ही वे दावा जता सकती। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बारे में अहम फैसला (SC decision on property rights) सुनाया है। आइये जानते हैं क्या कहा है शीर्ष अदालत ने।
प्रोपर्टी पर अधिकारों को लेकर अक्सर अदालतों के ऐतिहासिक फैसले आते रहते हैं। अब सुप्रीम कोर्ट ने बेटियों के प्रोपर्टी अधिकारों (property rights) पर अहम फैसला सुनाया है, जो चारों ओर चर्चाओं में है।
इसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अब एक खास स्थिति में बेटियों को पिता की प्रोपर्टी (property disputes) में कोई हिस्सा नहीं मिलेगा। इसके साथ ही शीर्ष कोर्ट ने कई अहम टिप्पणी भी की हैं।
बेटी नहीं कर सकती कोई दावा-
बेटी चाहे शादीशुदा हो या अनमेरिड, वह पिता की प्रोपर्टी (married daughter property rights) में हक रखती है लेकिन जब वह खासतौर से बालिग हो और पिता से कोई रिश्ता नहीं रखना चाहे तो वह पिता की प्रोपर्टी में हक भी नहीं जता सकती।
उसे पिता की प्रोपर्टी (daughter’s rights in father’s property) में कोई हिस्सा भी नहीं मिलेगा। यह बात सुप्रीम कोर्ट ने प्रोपर्टी अधिकारों व तलाक के एक मामले में सुनाया है।
कोर्ट के फैसले से यह हुआ स्पष्ट –
पति से तलाक (property rights after devorce) होने की स्थिति में कोई बेटी अपने पिता से कोई वास्ता रखने से मना करती है तो वह कोई खर्चा भी नहीं मांग सकती। जबकि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 2005 (संशोधित) के अनुसार बेटियों को पिता की प्रोपर्टी (property knowldege) में आजीवन अधिकार (son daughter property rights) देने का प्रावधान है। इससे स्पष्ट होता है कि मामले व स्थिति के अनुसार निर्णय प्रभावित हो सकते हैं।
पति से मिल रहा था गुजारा भत्ता-
इस मामले के अनुसार पति पत्नी के बीच तलाक के बाद अपने भाई के साथ रह रही महिला को अपने पति से अंतरिम गुजारा भत्ता (alimony rights) मिल रहा था। इस महिला ने खुद ही पिता से कोई वास्ता न रखने की बात कही थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट (SC decision on property rights) ने यह फैसला सुनाया है।
यह कहा था निचली अदालत ने-
सेशन कोर्ट से चले इस मामले में एक व्यक्ति ने याचिका देकर पत्नी (women’s property rights) से तलाक मांगा था। यह याचिका मंजूर होने पर पत्नी (wife’s property rights) हाईकोर्ट पहुंच गई। हाईकोर्ट ने पति की ओर से लगाई गई तलाक की याचिका खारिज कर दी।
इसके उपरांत मामले को लेकर पति ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट (supreme court decision) में पति के पक्ष में फैसला आया।