wheat flour price : आमतौर पर जब गेहूं के दाम बढ़ते हैं तो आटे के रेट भी हाई हो जाते हैं, लेकिन इस समय इनके रेट (flour price today) में उलटफेर हुआ है। एक ओर जहां गेहूं सस्ता हुआ है, वहीं आटे के भाव (wheat flour rate) सातवें आसमान पर चले गए हैं। इसके पीछे बड़ा कारण बताया जा रहा है। आइये जानते हैं इस बारे में खबर में।
फिलहाल गेहूं के दाम गिरना जहां किसानों के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है, वहीं आटे के दाम (wheat flour rate 10 july) सातवें आसमान पर चढ़ने से लोगों का घरेलू बजट बिगड़ रहा है। इस समय गेहूं तो सस्ते रेट में बिक रहा है, लेकिन आटा पहले से काफी महंगा हो गया है। इन दोनों के रेट में उठापटक होने से ग्राहकों सहित किसानों और व्यापारियों तक पर असर पड़ा है।
गेहूं और आटे के भाव (wheat flour rate update) में इस उतार चढ़ाव का बड़ा कारण है, जो इनके अंतर को और बढ़ाता जा रहा है। इस हिसाब से आगामी समय में गेहूं व आटे के भाव (gehu aur aate ka bhav) में और बदलाव आता दिख रहा है।
इस कारण बढ़े आटे के दाम-
अब हर कोई इसी बात पर नजर रखे हुए है कि आखिर गेहूं की कीमत (wheat rate today) गिरने और आटा महंगा होने का कारण क्या है। कुछ माह पहले गेहूं की कीमतें आसमान छू रही थी तो सरकार ने इसके नियंत्रण के लिए कई कदम उठाए।
ओपन मार्केट सेल स्कीम (open market sale scheme) के तहत गेहूं की बिक्री, गेहूं भंडारण की नई लिमिट (wheat stock limit) तक तय की गई। इससे गेहूं के दाम तो गिर गए पर आटा महंगा हो गया। ऐसे में चर्चाएं हैं कि सरकार ने उपभोक्ताओं के बारे में सोचा ही नहीं। गेहूं और गेहूं के आटे की कीमत (wheat flour rate) में बड़ा अंतर होना किसानों व आम उपभोक्ताओं के बजट को प्रभावित कर रहा है।
पहले वाले रेट पर बिक रहा आटा-
गेहूं के अधिकतम रेट (wheat maximum price) कुछ समय पहले 2850 रुपये प्रति क्विंटल के करीब थे, अब यह 2500 रुपये क्विंटल से भी नीचे हो गई है। इसके बावजूद रिटेल में आटा (flour retail price) अधिकतर जगह पहले की तरह ही ऊंचे रेट यानी लगभग 70 रुपये किलो के भाव पर कायम है।
अब उपभोक्ताओं को हो रही यह समस्या-
जब गेहूं का नया सीजन शुरू हुआ था तो उससे पहले ही इस बार के लिए गेहूं का MSP 150 रुपये (wheat MSP) बढ़ाकर 2425 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया था। बाजार और मंडियों में नई गेहूं की आवक बढ़ने से गेहूं की आपूर्ति आसानी से हो रही थी। इस कारण गेहूं के रेट (gehu ka bhav) नियंत्रित रहे, लेकिन आटे के रेट बढ़ने से आम लोगों को महंगाई में बजट और बिगड़ने से समस्याएं होने लगी हैं। उधर किसानों को गेहूं का कम रेट (gehu ka rate) मिलने से मुनाफा घट रहा है।
दोनों के भाव में है इतना अंतर-
सरकारी आंकड़ों के अनुसार गेहूं का आटा अलग अलग जगह के हिसाब से 40 से लेकर 70 रुपये प्रति किलोग्राम (wheat flour rate) तक बिक रहा है। जबकि गेहूं का एवरेज प्राइस देखें तो यह अधिकतर जगह 25 रुपये प्रति किलोग्राम ये लेकर 60 रुपये प्रति किलोग्राम तक ही सिमट गया है। इस कारण इनके रेट में काफी अंतर आ गया है। इसका असर किसानों व उपभोक्ताओं दोनों पर ही पड़ रहा है।
गेहूं के रेट गिरने का यह रहा कारण-
केंद्र सरकार (center govt) ने होलसेलर्स के लिए गेहूं भंडारण की लिमिट को हजार मीट्रिक टन से 250 मीट्रिक टन कर दिया। रिटेलर्स पर 5 मीट्रिक टन गेहूं से 4 मीट्रिक टन गेहूं स्टोर (wheat store limit) करने की लिमिट लगा दी।
भंडारण की लिमिट घटने से सरकारी गोदामों में पर्याप्त गेहूं पहुंचा और व्यापारियों ने कम रेट पर ही गेहूं खरीदा, क्योंकि उन्हें यह लगता है कि सरकार कभी भी सस्ते रेट में मार्केट में गेहूं (wheat selling) उतार सकती है। इस कारण उन्हें भविष्य में इससे कम मुनाफे की उम्मीद है। इसका असर गेहूं की कीमतों (gehu ke daam) पर पड़ा और ये गिरती चली गई।