भारत ने पहली बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) से अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी के लिए ट्रैवल बैन वेवर की औपचारिक मांग की है। अगर ये मंजूरी मिलती है तो मुत्ताकी भारत की यात्रा करेंगे। यह कदम सिर्फ कूटनीतिक संबंधों तक सीमित नहीं है, बल्कि पाकिस्तान के लिए भी बड़ा झटका साबित हो सकता है।
अफगानिस्तान में भारत की भूमिका
2001 के बाद से भारत ने अफगानिस्तान में कई बड़े विकास कार्य किए –
- स्कूल और अस्पतालों का निर्माण
- लाइब्रेरी, सड़कें और पावर प्रोजेक्ट्स
- आम अफगानी जनता में भारत के प्रति सकारात्मक छवि
इसी वजह से अफगान जनता भारत को एक भरोसेमंद सहयोगी मानती रही है।
तालिबान के साथ भारत का बदलता रुख
2021 में जब तालिबान ने काबुल पर कब्ज़ा किया तो भारत ने प्रत्यक्ष संपर्क से दूरी बनाई। लेकिन हालात अब बदल चुके हैं।
- 2025 की शुरुआत में दुबई में भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर और तालिबान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की मुलाकात हुई।
- यह पहली बार होगा जब कोई तालिबान मंत्री आधिकारिक रूप से भारत का दौरा करेगा।
यूएन में भारत का स्टैंड
जुलाई 2025 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में अफगानिस्तान पर एक ड्राफ्ट रिज़ॉल्यूशन पास हुआ।
- 193 में से 116 देशों ने समर्थन किया, 2 ने विरोध किया और 12 देशों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया।
- भारत ने इसमें हिस्सा नहीं लिया क्योंकि उसका मानना था कि यह रिज़ॉल्यूशन अफगानिस्तान की असली स्थिति को संबोधित नहीं करता।
ट्रैवल बैन वेवर क्यों जरूरी?
तालिबान के ज़्यादातर नेता UNSC Resolution 988 के तहत सेंक्शन लिस्ट में हैं।
- बिना UNSC की अनुमति के वे किसी देश की यात्रा नहीं कर सकते।
- भारत ने इसी वजह से UNSC ट्रैवल बैन कमेटी को मुत्ताकी के लिए वेवर देने का अनुरोध किया है।
पाकिस्तान के लिए झटका
तालिबान का विदेश मंत्री भारत आएगा तो यह पाकिस्तान की कूटनीतिक हार मानी जाएगी।
- लंबे समय से पाकिस्तान खुद को तालिबान का मुख्य सहयोगी बताता रहा है।
- लेकिन भारत का ये कदम अफगानिस्तान में उसके बढ़ते प्रभाव का संकेत है।
निष्कर्ष
भारत का यह नया रुख बताता है कि अब उसकी अफगान नीति सिर्फ आइडियलिज्म पर आधारित नहीं, बल्कि प्रैक्टिकल और रणनीतिक हो चुकी है। भारत अफगानिस्तान में मानवीय सहयोग तो कर ही रहा है, साथ ही तालिबान सरकार से बातचीत कर स्थिरता और लोगों की भलाई सुनिश्चित करने की दिशा में भी कदम बढ़ा रहा है।
👉 कुल मिलाकर कहा जाए तो यह यात्रा अगर होती है तो यह भारत-तालिबान रिश्तों में ऐतिहासिक मोड़ होगी और पाकिस्तान के लिए एक बड़ा भू-राजनीतिक झटका साबित होगी।

 
			 
                                 
                              
		 
		 
		 
		