क्या आपने हाल ही में चाँद को नारंगी, लाल या तांबे के रंग में देखा है? अगर हाँ, तो आपने ‘ब्लड मून’ नामक एक दुर्लभ और रोमांचक खगोलीय घटना देखी है! हाल ही में दिल्ली के आसमान में इस अद्भुत नज़ारे को देखने के लिए लोग पूरी रात जागते रहे।
बादल भी उत्साह को नहीं रोक पाए
दिल्ली के आसमान में कुछ जगहों पर बादल छाए रहने के बावजूद लोगों का उत्साह कम नहीं हुआ। लोग परिवार और दोस्तों के साथ अपनी छतों और बालकनी से चांद को निहारते रहे। जैसे-जैसे रात गहराती गई, चांद का रंग बदलता गया और लोगों का उत्साह बढ़ता गया।

यह वह क्षण था जब चाँद धीरे-धीरे अपना चमकीला रंग खोकर गहरे लाल रंग में बदल गया। यह नज़ारा इतना शानदार था कि हर कोई इसे अपनी आँखों से देखना चाहता था।

नेहरू तारामंडल में ‘लूनर कार्निवल’ मनाया गया
दिल्ली में इस चंद्रग्रहण को खास बनाने के लिए नेहरू तारामंडल ने प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (पीएमएमएल) में ‘लूनर कार्निवल’ का आयोजन किया। यहाँ छात्र, युवा और खगोल विज्ञान में रुचि रखने वाले लोग एकत्रित हुए।

नुक्कड़ नाटक के ज़रिए उन्हें चंद्र ग्रहण के बारे में रोचक जानकारी दी गई, जैसे कि यह क्यों होता है और चाँद लाल क्यों हो जाता है। भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान ने भी इस घटना का ऑनलाइन सीधा प्रसारण किया, ताकि जो लोग बादलों के कारण इसे नहीं देख पाए, वे भी इस अद्भुत नज़ारे का हिस्सा बन सकें।

चन्द्र ग्रहण का समय क्या था?
दिल्ली में रविवार रात 8:58 बजे यह ग्रहण शुरू हुआ। यह ग्रहण लगभग 5 घंटे 27 मिनट तक चला और सुबह 2:25 बजे समाप्त हुआ। रात 11:01 बजे चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया में आ गया और ‘ब्लड मून’ का सबसे खूबसूरत रंग दिखाई दिया।

इसे ‘ब्लड मून’ क्यों कहा जाता है?
चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है। इस कारण पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। लेकिन, पृथ्वी के वायुमंडल से छनकर आने वाली सूर्य की रोशनी चंद्रमा पर पड़ती है।

इसमें नीला और हरा रंग तो छन जाता है, लेकिन लाल तरंगें चंद्रमा तक पहुँच पाती हैं, जिससे चंद्रमा लाल दिखाई देता है। इसीलिए इसे ‘ब्लड मून’ कहा जाता है। अगला पूर्ण चंद्रग्रहण अब 31 दिसंबर 2028 को दिखाई देगा। तो, अगली बार इस अद्भुत खगोलीय घटना को देखने के लिए तैयार रहिए!
