UP News : कर्मचारी ताक लगाए आठवें वेतन आयोग (8th cpc ) का इंतजार कर रहे हैं। अब हाल ही में यूपी के कर्मचारियों के लिए 8वें वेतन आयोग पर बड़ा अपडेट सामने आया है। कई कर्मचारी इस बारे में भी विचार करते हैं कि आखिर ब्रिटिश शासनकाल में सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन का आधार क्या था और उस समय में कर्मचारियों का प्रमोशन कैसे होता था।
सरकार की ओर से 8वें वेतन आयोग के गठन को लेकर जनवरी में ही मंजूरी दे दी गई है, जिसके बाद अब सभी केंद्रीय कर्मचारी (government employees) और पेंशनर्स 8वें वेतन आयोग के लागू होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। केंद्रीय कर्मचारियाों के साथ ही यूपी के कर्मचारियों की नजरें भी 8वें वेतन आयोग लागू होने के बाद सैलरी पर टिकी हुई है। ऐसे में आइए खबर में जानते हैं कि ब्रिटिश शासनकाल में सरकारी कर्मचारियों का प्रमोशन कैसे होता था।
कब लागू हो सकता है नया वेतन आयोग
केंद्र सरकार ने इस बारे में बताया है कि आठवें वेतन आयोग (8th Pay commission ) की सिफारिशों को सरकार द्वारा स्वीकार करने की सिफारिशों को स्वीकृत किए जाने के बाद ही वेतन में बदलाव का प्रोसेस शुरू हो सकता है। मानना है कि आठवां वेतन आयोग जनवरी 2026 से ये लागू हो सकता है। ऐसे में अब 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.86 के आस-पास हो सकता है। अगर ऐसा होता है, तो इससे कर्मचारियों का न्यूनतम मूल वेतन 51,000 रुपये से ज्यादा हो सकता है और इससे कर्मचारियों की सैलरी (UP employees’ salaries) 40,000 से 45,000 रुपये तक हो सकती है।
ऐसे होता था भारतीय कर्मचारियों का मूल्यांकन
ब्रिटिश शासनकाल (Employees promotion British rule) की बात करें तो अंग्रेजों के समय में भारत में सरकारी नौकरियों का स्ट्रक्चर बेहद अलग था। उस काल में उच्च पदों पर ज्यादातर अंग्रेज अधिकारी होते थे। इन उच्च पदों पर रहने के भारतीयों को बहुत कम मौके मिलते थे। इन निचले स्तर की सेवाओं में क्लर्क, तहसीलदार और अन्य छोटे पद शामिल थे।
ऐसे में वरिष्ठता और निष्ठा ही प्रमोशन का आधार का रूप था। अंग्रेज अधिकारी अपनी वफादारी और कार्यकुशलता से ही भारतीय कर्मचारियों का मूल्यांकन (evaluation of indian employees) करते थे। हालांकि, मूल्यांकन के बाद भी भारतीय कर्मचारियों को उच्च पदों पर प्रमोशन मिलना काफी मुश्किल था, क्योंकि तब अंग्रेजी सरकार में नस्लीय भेदभाव नॉर्मल था।
किस तरह से होता था कर्मचारियों का प्रमोशन
वैसे तो आपको बता दें कि उच्चतम पद के कर्मचारियों (highest ranking employees) की कमाई सबसे निचले स्तर के कर्मचारी की कमाई से तकरीबन दस गुना अधिक होती थी, लेकिन अब बात यह आती है कि अंग्रेज सरकारी कर्मचारियों का प्रमोशन कैसे करते थे तो उस दौरान प्रमोशन के प्रोसेस में कोई कोई व्यवस्थित प्रणाली नहीं होती थी। इसके लिए विभागीय प्रमुखों की सिफारिश और व्यक्तिगत रिकॉर्ड बहुत जरूरी थे और साथ ही वेतन और प्रमोशन का फैसला सरकार की मर्जी पर डिपेंड करता था।