बिहार के हज़ारों विशेष शिक्षक पिछले छह महीने से अपनी जमा राशि निकालने के लिए चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उनकी गाढ़ी कमाई फंसी हुई है। इसकी वजह शिक्षा विभाग और डीपीओ स्थापना कार्यालय की लापरवाही है।
शिक्षकों का पैन कार्ड स्वीकृत नहीं होने के कारण कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) से उनकी राशि की निकासी नहीं हो पा रही है। शिक्षक हर दिन मुजफ्फरपुर के साइबर कैफे और ईपीएफओ दफ्तरों का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन हर बार उन्हें एक ही जवाब मिलता है कि पहले पैन स्वीकृत कराओ, उसके बाद ही भुगतान संभव है।

शिक्षकों की जमा राशि क्यों अटकी है?
प्रथम और द्वितीय योग्यता परीक्षा उत्तीर्ण शिक्षकों का मामला नियोजित से विशिष्ट बनने की प्रक्रिया में फंस गया है। जानकारी के अनुसार, जब ये शिक्षक नियोजित थे, तब इनका पीएफ अंशदान ईपीएफओ में जमा होता था। लेकिन बाद में व्यवस्था बदलने के बाद इनकी राशि एनपीएस में जमा होने लगी।
अब शिक्षक अपने ईपीएफओ खाते में जमा पुरानी राशि निकालना चाहते हैं, लेकिन विभाग की लापरवाही ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। यह मामला पिछले छह महीने से लंबित है और डीपीओ स्थापना कार्यालय के कर्मचारियों की लापरवाही के कारण पैन नंबर स्वीकृत नहीं हो पा रहा है।
शिक्षकों की नाराजगी और प्रशासन का रवैया
शिक्षक इस बात से बेहद नाराज़ हैं कि उन्हें अपनी मेहनत की कमाई निकालने में इतनी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उनका कहना है कि विभाग इस समस्या को गंभीरता से नहीं ले रहा है, जिससे उनमें रोष है। शिक्षकों ने प्रशासन से मांग की है कि पैन अप्रूवल की प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी की जाए ताकि वे अपनी जमा राशि निकाल सकें। उन्होंने चेतावनी भी दी है कि अगर जल्द ही समाधान नहीं निकला तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
इस मामले पर जिला शिक्षा अधिकारी अक्षय कुमार पांडे ने कहा है कि मामले की जानकारी ली जा रही है और शिक्षकों की समस्या का समाधान जल्द ही सुनिश्चित किया जाएगा। अब देखना यह है कि प्रशासन कितनी जल्दी इस समस्या का समाधान करता है और इन शिक्षकों को उनकी मेहनत की कमाई कब वापस मिलती है।