पिछले कुछ सालों में भारत के आसपास के देशों ने लगातार राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता का सामना किया है।
2021 में म्यांमार, 2022 में पाकिस्तान और श्रीलंका, 2024 में बांग्लादेश और अब 2025 में नेपाल – एक के बाद एक घटनाओं ने पूरे दक्षिण एशिया को हिला दिया। इन परिस्थितियों में भारत ने हमेशा कूटनीतिक संतुलन बनाए रखने की कोशिश की है। मानवीय सहायता, विकास सहयोग, सीमा कूटनीति और परिस्थितियों के अनुसार सावधानीपूर्ण संवाद—हर जगह भारत ने अपने रुख को परिस्थिति-आधारित रखा।
नेपाल का संकट
4 सितंबर को नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार ने 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स (जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, एक्स और रेडिट) पर पाबंदी लगा दी। तर्क यह दिया गया कि कंपनियाँ नए पंजीकरण और निगरानी नियमों का पालन नहीं कर रही थीं। टिकटॉक और वाइबर जैसे प्लेटफॉर्म अपवाद रहे क्योंकि उन्होंने शर्तें मान ली थीं।
8 सितंबर को यह मामला उग्र हो गया, जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चला दी। 17 से 19 लोगों की मौत हुई और 100 से अधिक घायल हुए। विरोध इतना भड़क गया कि लोग मंत्रियों और नेताओं को सड़कों पर खदेड़कर पीटने लगे, पार्टी कार्यालयों में आगजनी की गई और हालात बेकाबू हो गए। अंततः प्रधानमंत्री ओली को इस्तीफा देना पड़ा।
भारत ने इस स्थिति पर दुख जताया और अपने नागरिकों से नेपाल की गैर-जरूरी यात्रा से बचने की अपील की।
श्रीलंका का हाल
2022 में आर्थिक संकट ने श्रीलंका की नींव हिला दी। राजपक्षे परिवार के खिलाफ हुए जनआंदोलन में राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को देश छोड़ना पड़ा।
सितंबर 2024 में अनुरा कुमार दिसानायके राष्ट्रपति बने। उनकी सरकार ने भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई की और पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे समेत पाँच मंत्रियों को जेल की सज़ा सुनाई। इसके बावजूद, आम जनता महंगाई, बेरोजगारी और गरीबी से जूझ रही है।
बांग्लादेश की उथल-पुथल
अगस्त 2024 में छात्रों के आंदोलन ने शेख हसीना सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया। नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस अंतरिम प्रधानमंत्री बने। 90 दिनों में चुनाव कराने का वादा था, मगर वे 13 महीने से पद पर बने हुए हैं। शुरुआत में छात्रों को भी सरकार में जगह दी गई थी, लेकिन धीरे-धीरे वे साइडलाइन हो गए। आज हालात यह हैं कि असल सत्ता सेना के हाथों में है।
भारत ने यहाँ भी संयम बरता। नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी, यात्रा परामर्श जारी किया और सैन्य नेताओं से संवाद कायम रखा। शेख हसीना को शरण देने के बावजूद भारत ने व्यापार को आंशिक रूप से जारी रखते हुए संतुलन बनाए रखा।
पाकिस्तान की स्थिति
अप्रैल 2022 में इमरान खान की विदाई के बाद शहबाज शरीफ की गठबंधन सरकार बनी। पर असली नियंत्रण सेना प्रमुख आसीम मुनीर के हाथों में है। देश विद्रोह, राजनीतिक असंतोष और आर्थिक संकट से जूझ रहा है। बलूचिस्तान और खैबर-पख्तूनख्वा में हमले 70% तक बढ़ चुके हैं।
भारत ने यहाँ भी सतर्क नीति अपनाई—स्थिति पर नज़र रखी लेकिन आंतरिक राजनीति में हस्तक्षेप नहीं किया।
म्यांमार में सैन्य शासन
फरवरी 2021 में म्यांमार की सेना ने आंग सान सू की और राष्ट्रपति यू विन म्यिंट को हिरासत में लेकर सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया। चुनावी धांधली का हवाला देते हुए आपातकाल लागू किया गया।
जनता सड़कों पर उतरी, लेकिन सेना ने दमनकारी कदम उठाए—कर्फ्यू, सभाओं पर रोक और गोलीबारी। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक अब तक 6,200 से ज्यादा नागरिक मारे जा चुके हैं।