सितंबर में सब्जियों की खेती करके त्योहारों के समय अच्छा पैसा कमाना चाहते हैं, तो चलिए हम आपको बताते हैं कि खेती का सही तरीका क्या है और कौन-कौन सी सब्जियां उगाई जा सकती हैं।
सितंबर में सब्जी की खेती
अगर सितंबर में सब्जी की खेती करना चाहते हैं और खेत खाली हैं, तो यहां कुछ ऐसी सब्जियों के नाम बताए जा रहे हैं, जिन्हें इस समय लगाकर अच्छी कमाई कर सकते हैं। आने वाले समय में कई त्यौहार पड़ने वाले हैं और ये सब्जियां कम समय में तैयार हो जाती हैं, जिससे किसानों को बाजार में अच्छी कीमत मिल सकती है। तो चलिए, जानते हैं उन सब्जियों के बारे में।
1. मूली और गाजर की खेती– किसान इस समय मूली और गाजर की खेती कर सकते हैं। ये फसलें 30 से 40 दिन में तैयार हो जाती हैं। सर्दियों में गाजर की अच्छी डिमांड रहती है और इसकी कीमत भी बढ़िया मिलती है। इनकी खेती करना भी आसान है।
2. धनिया, मेथी और पालक की खेती– धनिया, मेथी और पालक की खेती भी इस समय की जा सकती है। यह फसल महीने भर के भीतर, या कहें तो 20 से 22 दिनों में कुछ किस्मों में तैयार हो जाती है। हरी धनिया की मांग हर समय बनी रहती है, क्योंकि यह खाने के स्वाद को बढ़ाती है। इसे हरे रूप में बेचा जा सकता है साथ ही बीज के रूप में भी बेंचा जा सकता है। पालक सेहत के लिए फायदेमंद होती है और हर मौसम में इसकी डिमांड बनी रहती है।
3. फूलगोभी और पत्तागोभी की खेती– फूलगोभी और पत्तागोभी की खेती भी इस समय की जा सकती है। यह थोड़ी लंबी अवधि की फसल है, जिसे तैयार होने में 60 से 70 दिन लगते हैं। लेकिन अगर अभी इसकी बुवाई की जाए तो त्योहारों के समय तक यह तैयार हो जाएगी और बाजार में इसकी अच्छी कीमत मिल सकती है।
4. ब्रोकली की खेती– ब्रोकली की खेती भी इस समय की जा सकती है। ब्रोकली की मांग समय के साथ बढ़ रही है और यह ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। इससे अच्छी कमाई हो सकती है।
5. चुकंदर की खेती– चुकंदर की खेती भी इस मौसम में की जा सकती है। चुकंदर की मांग लगातार बढ़ रही है क्योंकि यह सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। लोग अब इसके सेवन को ज्यादा प्राथमिकता देने लगे हैं।
खेती का यह तरीका बारिश से फसल बचाएगा
इस समय कई क्षेत्रों में बाढ़ जैसे हालात हैं, वहीं कुछ जगहों पर अधिक वर्षा के कारण खेतों में पानी भर जाता है, जिससे फसल को नुकसान होता है। लेकिन यदि खेत की गहरी जुताई करें और उसके बाद बेड बनाकर खेती करें, तो फसल को नुकसान कम होगा। अगर थोड़ी बहुत बारिश होती भी है और खेत में पानी भरने की संभावना है, तो बेड तकनीक से फसल को बचाया जा सकता है। बेड बनाने से फसल पानी से ऊपर रहती है और जड़ों को ऑक्सीजन मिलती रहती है। इसके अलावा, खुदाई और रख-रखाव भी आसान होता है।
आप एक मीटर चौड़ा और 15 से 18 सेंटीमीटर ऊँचा बेड बना सकते हैं। लेकिन इससे पहले खेत की गहरी जुताई करें और उसमें जैविक खाद (जैसे गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट) मिलाएं। फिर बेड बनाकर फसल लगाएं।
