धान की अगेती बुवाई को करीब 70 दिन हो चुके हैं और खेतों में अब बालियां निकलने लगी हैं। यह समय किसानों के लिए बेहद अहम होता है, क्योंकि इस चरण पर की गई थोड़ी सी लापरवाही भी उत्पादन पर बड़ा असर डाल सकती है। यदि किसान खाद-पानी का संतुलन बनाए रखें और कीट-रोग नियंत्रण पर ध्यान दें, तो धान की फसल से दाने न केवल मजबूत और चमकदार मिलेंगे, बल्कि पैदावार में भी इजाफा होगा।
पोषक तत्वों की पूर्ति है सबसे जरूरी
कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर के डॉ. एन.पी. गुप्ता बताते हैं कि किसी भी फसल से गुणवत्तापूर्ण उपज पाने के लिए समय पर पोषण देना बहुत जरूरी है। धान की बाली निकलने की अवस्था पर यदि पौधों को संतुलित मात्रा में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश मिल जाए तो बालियां एक साथ निकलती हैं, दाने चमकदार और भारी बनते हैं और पौधे विपरीत परिस्थितियों में भी टिके रहते हैं। इससे फसल लंबे समय तक हरी-भरी रहती है और उत्पादन बढ़ता है।
ऐसे करें एनपीके का छिड़काव
यदि खेत में धान के पौधे कमजोर दिख रहे हैं या पत्तियों पर पीलापन नजर आ रहा है, तो किसान एनपीके 19:19:19 का छिड़काव कर सकते हैं। इसके लिए एक से दो किलो एनपीके को 200 लीटर पानी में घोलकर एक एकड़ फसल पर छिड़काव करना चाहिए। इससे बालियों में चमक आएगी और दाने वजनदार बनेंगे।
इसी तरह किसान 00:00:50 ग्रेड उर्वरक का भी प्रयोग कर सकते हैं, जिसमें 50% पोटाश पाई जाती है। इसके लिए एक से दो किलो उर्वरक को 100 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से दानों का वजन बढ़ता है, चमक आती है और पौधे रोगों से सुरक्षित रहते हैं। यह उपाय कम लागत में उत्पादन को बेहतर बनाने का आसान तरीका है।
नाइट्रोजन का प्रयोग करने से बचें
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि धान की फसल 55 से 60 दिन की हो गई है और बाली निकल रही है, तो किसान नाइट्रोजन का इस्तेमाल बिल्कुल न करें। इस समय नाइट्रोजन डालने से पौधों की पत्तियां कोमल हो जाती हैं, उनमें अधिक नमी और मिठास आने लगती है, जिससे कीट तेजी से आकर्षित होते हैं। इसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ता है और किसानों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
किसानों के लिए सलाह
धान की फसल में बाली निकलने का चरण उत्पादन बढ़ाने का सुनहरा मौका होता है। यदि किसान सही समय पर संतुलित पोषण और छिड़काव करें, तो पैदावार में 30 से 40 प्रतिशत तक बढ़ोतरी संभव है। इसलिए इस समय सजग रहकर फसल की देखभाल करना बेहद जरूरी है।