8वां वेतन आयोग: केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए, CGHS कार्ड महज़ एक प्लास्टिक का टुकड़ा नहीं है। यह भरोसे का एक ज़रिया है। यह इस बात की गारंटी है कि सरकार बुढ़ापे में या गंभीर बीमारी के दौरान उनके और उनके परिवारों के साथ खड़ी है। 1954 से लागू, केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (CGHS) लाखों कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए एक सुरक्षा कवच रही है।
पिछले 10 वर्षों में, विशेष रूप से सातवें वेतन आयोग (2016-2025) के दौरान, इस कवच को मज़बूत और आधुनिक बनाने के लिए कई प्रयास किए गए हैं। लेकिन अब, जब देश भर में आठवें वेतन आयोग को लेकर चर्चाएँ हो रही हैं, एक अहम सवाल उठ रहा है: क्या 70 साल पुराना सीजीएचएस ख़त्म होने वाला है?
सूत्रों के अनुसार, सरकार केंद्रीय कर्मचारियों के लिए एक नई बीमा योजना ला सकती है। यह भी संभव है कि आठवें वेतन आयोग की सिफारिशों के साथ, सरकार सीजीएचएस की जगह एक बिल्कुल नई, आधुनिक और बीमा-आधारित स्वास्थ्य योजना ला सकती है।
परिवर्तन की आवाज क्यों उठ रही है?
सातवें वेतन आयोग के दौरान सीजीएचएस ने काफ़ी प्रगति की है। इसे पुरानी, फ़ाइल-बद्ध योजना से आधुनिक, डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म में बदलने के लिए हर संभव प्रयास किया गया है। सीजीएचएस कार्डों को आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता (ABHA) से जोड़ने की पहल की गई। पुरानी भुगतान प्रणाली को नए HMIS पोर्टल से बदल दिया गया। MyCGHS ऐप लॉन्च किया गया, जिससे कार्ड से पैसे ट्रांसफर करने और परिवार के सदस्यों को जोड़ने की मोबाइल पहुँच संभव हो गई।
नियम आसान बनाए गए
निजी अस्पतालों में सामान्य, अर्ध-निजी और निजी वार्डों की पात्रता को कर्मचारियों के मूल वेतन से जोड़ दिया गया है, जिससे भ्रम की स्थिति दूर हो गई है। रेफरल प्रक्रिया को सरल बनाया गया है। सरकारी अस्पतालों में अब बिना रेफरल के इलाज संभव है, जबकि निजी अस्पतालों में एक ही रेफरल से तीन विशेषज्ञों से परामर्श संभव है।
फिजियोथेरेपी जैसी सेवाएँ घर बैठे उपलब्ध हो गईं। सीपीएपी, बाईपैप और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर जैसे चिकित्सा उपकरणों की स्वीकृति प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया गया और उसे मात्र पाँच दिनों में पूरा कर दिया गया। यह एक वाजिब सवाल है। जब सीजीएचएस में पहले से ही इतने सारे सुधार चल रहे हैं, तो फिर पूर्ण बदलाव की बात क्यों हो रही है? इसके पीछे कुछ गंभीर और दीर्घकालिक कारण हो सकते हैं।
1. दायरा और लागत बढ़ाना
सीजीएचएस लाभार्थियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिससे सरकार पर लागत का बोझ बढ़ रहा है। एक बीमा मॉडल इस खर्च को और अधिक प्रबंधनीय बना सकता है।
2. निजी बीमा का लचीला मॉडल
बीमा-आधारित योजना (संभवतः सीजीईपीएचआईएस नाम से) निजी क्षेत्र की तरह अधिक लचीली और उन्नत सुविधाएं प्रदान कर सकती है।
3. कैशलेस इलाज का सपना
नई योजना का मुख्य फोकस देश भर में बड़े निजी अस्पतालों के मजबूत नेटवर्क के साथ पूरी तरह से कैशलेस और परेशानी मुक्त उपचार प्रदान करना हो सकता है।
8वें वेतन आयोग से क्या उम्मीदें हैं?
हालांकि 8वें वेतन आयोग की आधिकारिक घोषणा अभी लंबित है, लेकिन यह तय है कि यह 1 जनवरी, 2026 से प्रभावी होगा। कर्मचारी और पेंशनभोगी पहले से ही वेतन और पेंशन वृद्धि का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन वे अपनी स्वास्थ्य योजनाओं के भविष्य पर भी उत्सुकता से नजर रख रहे हैं।