भारत में मूली की खेती एक लोकप्रिय व्यवसाय है, जो ठंड के मौसम में किसानों को अच्छा मुनाफा दिलाती है। यह न केवल बाजार में हमेशा बिकती है, बल्कि कम लागत में तेजी से तैयार हो जाती है। लेकिन सही किस्म चुनना सफलता की कुंजी है। पूसा चेतकी नामक उन्नत किस्म मूली की खेती के लिए एक बेहतरीन विकल्प है।
यह किस्म उच्च तापमान सहन करने वाली है और गर्मी व बरसात में भी अच्छी पैदावार देती है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा विकसित यह किस्म 1988 में रिलीज हुई थी और आज भी किसानों के बीच लोकप्रिय है। अगर आप मूली की खेती शुरू करना चाहते हैं, तो पूसा चेतकी से बेहतर कोई विकल्प नहीं। आइए, इसकी विस्तृत जानकारी जानते हैं।
पूसा चेतकी किस्म का विकास और विशेषताएं
पूसा चेतकी को IARI, नई दिल्ली के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है। यह एशियाई प्रकार की मूली है, जो उत्तर भारत के मैदानी इलाकों के लिए आदर्श है। इसकी जड़ें सफेद, चिकनी, नरम और कम तीखी होती हैं, जो गर्मी की बुवाई में भी स्वादिष्ट रहती हैं। जड़ की लंबाई 15-22 सेंटीमीटर होती है, जो मोटी और स्टंप आकार की होती है। पत्तियां पूरी, थोड़ी लोब्ड, गहरी हरी और सीधी खड़ी रहती हैं।
यह किस्म बीज उत्पादन के लिए भी उपयुक्त है, क्योंकि यह मैदानों में अक्टूबर-नवंबर में जल्दी बोल्टिंग (फूल आना) करती है। इसकी खासियत यह है कि यह उच्च तापमान सहन करती है, इसलिए अप्रैल से अगस्त तक बुवाई के लिए बेस्ट है। पंजाब क्षेत्र में बीज उत्पादन के लिए विशेष रूप से अनुशंसित।
उपज और आर्थिक लाभ
पूसा चेतकी की उपज इसकी सबसे बड़ी ताकत है। प्रति हेक्टेयर 250-300 क्विंटल तक पैदावार मिल सकती है, जो अन्य किस्मों से 20-30% अधिक है। औसतन 25 टन प्रति हेक्टेयर उपज होती है, जो छोटे किसानों के लिए भी लाभदायक है। बाजार में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है, क्योंकि जड़ें क्रिस्प, मीठी और कम तीखी होती हैं। एक अध्ययन के अनुसार, इसकी खेती से प्रति हेक्टेयर शुद्ध लाभ 50,000-70,000 रुपये तक हो सकता है, खासकर जब बाजार मूल्य 10-15 रुपये प्रति किलो हो। यह किस्म घरेलू बगीचों के लिए भी परफेक्ट है, जहां 1-2 किलो बीज से पूरे परिवार की जरूरत पूरी हो जाती है।
उपयुक्त क्षेत्र और जलवायु
यह किस्म पूरे भारत में उगाई जा सकती है, लेकिन उत्तर भारत के मैदानी इलाकों (पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश) और पर्वतीय क्षेत्रों (जुलाई-सितंबर) के लिए सबसे अच्छी है। उच्च तापमान सहनशीलता के कारण गर्मी और मानसून में भी सफल रहती है। न्यूनतम तापमान 10-15°C और अधिकतम 20-30°C में जड़ विकास सबसे अच्छा होता है। ठंडी जलवायु में स्वाद बढ़ता है, जबकि गर्मी में पत्तियां ज्यादा बढ़ती हैं।
मिट्टी और खेत की तैयारी
मूली की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त है, जिसमें अच्छा जल निकास हो। मिट्टी का pH 6.0-7.0 होना चाहिए। खेत तैयार करने के लिए 5-6 बार जुताई करें, जिसमें गहरी जुताई (30-40 सेमी) ट्रैक्टर या मिट्टी पलटने वाले हल से हो। इससे जड़ें सीधी और मोटी बढ़ेंगी। बुवाई से पहले 100-150 क्विंटल प्रति हेक्टेयर जैविक खाद (गोबर या कम्पोस्ट) मिलाएं। उर्वरक के रूप में नाइट्रोजन 100 किलो, फॉस्फोरस 50 किलो और पोटाश 100 किलो प्रति हेक्टेयर दें। आधा नाइट्रोजन बुवाई पर, बाकी दो हिस्सों में पहली और दूसरी सिंचाई पर।
बुवाई का सही समय और विधि
पूसा चेतकी की बुवाई सितंबर में सबसे अच्छी है, लेकिन अप्रैल-अगस्त तक की जा सकती है। बीज दर 8-10 किलो प्रति हेक्टेयर रखें। बीजों को फफूंदनाशक से उपचारित करें ताकि बीज जनित रोग न हों। बुवाई 3-4 सेमी गहराई पर करें, पंक्ति से पंक्ति 30-45 सेमी और पौधे से पौधे 7.5-10 सेमी दूरी पर। मेड़ विधि अपनाएं, जिसमें मेड़ की ऊंचाई 15-20 सेमी हो। बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें ताकि नमी बनी रहे। बीज 4-5 दिनों में अंकुरित हो जाते हैं।
सिंचाई, खरपतवार और कीट प्रबंधन
मूली को नियमित सिंचाई की जरूरत है, लेकिन जलभराव से बचें। बुवाई के बाद 4-5 सिंचाई दें, खासकर जड़ विकास के समय। गर्मी में सप्ताह में 2-3 बार पानी दें। खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के 20-25 दिनों बाद निराई-गुड़ाई करें। ट्राइफ्लुरालिन जैसे खरपतवारनाशक का उपयोग सीमित मात्रा में करें। कीटों में माहू और चाफर मुख्य समस्या हैं। नीम तेल या इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव करें। रोगों जैसे रूट रॉट से बचाव के लिए ट्राइकोडर्मा जैसी मित्र फफूंदी मिलाएं। फोर्किंग (जड़ों का कांटा होना) से बचने के लिए मिट्टी ढीली रखें और उचित दूरी बनाए रखें।
कटाई और भंडारण
यह किस्म 40-45 दिनों में तैयार हो जाती है। जब जड़ें 15-20 सेमी लंबी हो जाएं, तब कटाई करें। सुबह या शाम को निकालें ताकि ताजगी बनी रहे। उपज 200-250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है। कटाई के बाद पत्तियां हटा दें और ठंडी, नम जगह पर 7-10 दिनों तक स्टोर करें। बाजार में ताजा बेचने से अच्छा मूल्य मिलता है।
घर बैठे बीज मंगवाएं
राष्ट्रीय बीज निगम (NSC) इस किस्म के बीज ऑनलाइन बेच रहा है। ONDC के आधिकारिक स्टोर से 250 ग्राम पैकेट 20% छूट पर मात्र 200 रुपये में खरीदें। वेबसाइट पर रजिस्टर करें, बीज सर्च करें और होम डिलीवरी चुनें। अन्य साइट्स जैसे OrganicBazar या TrustBasket से भी उपलब्ध, जहां 2 ग्राम पैकेट 35-50 रुपये में मिलता है। गुणवत्ता जांचें और प्रमाणित बीज ही लें।
सफलता के लिए अतिरिक्त टिप्स
मूली की खेती में फसल चक्रण अपनाएं ताकि मिट्टी स्वस्थ रहे। जैविक खेती से उपज बढ़ाएं। सरकारी योजनाओं से सब्सिडी लें। पूसा चेतकी न केवल व्यावसायिक खेती के लिए, बल्कि घर के बगीचे के लिए भी शानदार है। सही देखभाल से आपका खेत मूली का खजाना बन सकता है। स्थानीय कृषि केंद्र से सलाह लें और इस सीजन में सफल हों।