उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित किया गया। सीखड़ स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर), अदलपुरा ने अनुसूचित जाति उप-योजना के तहत किसानों को सब्जियों के बीज और कृषि सामग्री वितरित की। इस दौरान जैविक सब्जी खेती पर व्यावहारिक प्रशिक्षण भी दिया गया, जिसका मुख्य लक्ष्य किसानों को मजबूत बनाना और उनकी आय बढ़ाना है।
100 किसानों को मिली निःशुल्क किट
कार्यक्रम में कुल 100 किसानों को निःशुल्क किट दी गईं, जिनमें आधी से ज्यादा महिलाएं थीं। इन किटों में सब्जी के बीज, ग्रेन्युल, ह्यूमिक बॉल, पॉट मिक्स कम्पोस्ट और प्रशिक्षण सामग्री शामिल थी। संस्थान के निदेशक डॉ. राजेश कुमार के नेतृत्व में यह प्रयास चलाया जा रहा है। इससे किसान अपनी छोटी जोतों पर जैविक तरीके से सब्जियां उगा सकेंगे और बाजार में बेहतर दाम पा सकेंगे।
विशेषज्ञों ने साझा की महत्वपूर्ण जानकारियां
प्रधान वैज्ञानिक डॉ. डी.पी. सिंह ने किसानों को खाद्य सुरक्षा और पोषण के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि सब्जी उत्पादन से न केवल परिवार की सेहत सुधरती है, बल्कि आय में भी वृद्धि होती है। सरकार की एससीएसपी योजना किसानों को स्वावलंबी बनाने का एक बड़ा कदम है। आकुशपुर केवीके के वैज्ञानिक डॉ. जे.पी. सिंह ने जैविक खेती, घरेलू बागवानी, पानी के प्रबंधन, पोषक तत्वों की देखभाल और कीट-रोग नियंत्रण पर आसान टिप्स दिए।
रोग प्रतिरोधी किस्में और मिट्टी सुधार
संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अच्युत कुमार सिंह ने सब्जियों की ऐसी किस्मों के बारे में चर्चा की, जो रोगों से लड़ने में सक्षम हैं। डॉ. विजय बहादुर चौहान ने बीज उत्पादन से कमाई के तरीके समझाए, ताकि किसान खुद बीज बेचकर अतिरिक्त आय कमा सकें। वहीं, केवीके गाजीपुर के डॉ. धर्मेंद्र सिंह ने अच्छी मिट्टी के फायदों पर विस्तार से बात की। उन्होंने बताया कि जैविक तरीके से मिट्टी की उर्वरता लंबे समय तक बनी रहती है।
स्थानीय सहयोग से सफल कार्यक्रम
इस आयोजन को सफल बनाने में सहेड़ी गांव के पूर्व प्रधान अजय यादव, सर्वजीत सिंह उर्फ अप्पू सिंह, राजीव कुमार, अशोक राम और आईआईवीआर के लोवकुश सतनामी का अहम योगदान रहा। ऐसे कार्यक्रम किसानों को नई तकनीक सिखाने के साथ-साथ उन्हें सरकारी योजनाओं से जोड़ते हैं। अगर मिर्जापुर के किसान इन टिप्स को अपनाएं, तो उनकी खेती में क्रांति आ सकती है।