Cash Limit : अगर आप भी घर में कैश रखते हैं तो ये खबर आपके काफी काम की हो सकती है। बता दें कि इनकम टैक्स विभाग (Income Tax Department) द्वारा घर में कैश रखने की लिमिट को तय किया गया है। अगर आप इस लिमिट से ज्यादा कैश रखते हैं तो आपको मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
आज के समय में हर चीज ऑनलाइन हो गई है। लेकिन फिर भी अधिकतर लोग कैश में ही पेमेंट करना पसंद करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि घर दिल्ली हो या यूपी (Cash limit in UP) सब जगह घर में कैश ने की लिमिट को तय किया गया है। अगर आप इस लिमिट से ज्यादा कैश रखते हैं तो आपकी परेशानी बढ़ सकती है।
घर में रख सकते हैं इतना कैश
सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि क्या घर में कानूनी तौर पर कैश रखने की कोई लिमिट को बनाया गया है। तो आपको बता दें कि इनकम टैक्स विभाग द्वारा घर में कैश (Cash limit at home) रखने के लिए किसी लिमिट को तय नहीं किया गया है। चाहे रकम छोटी हो या बड़ी, कैश रखना कहीं से भी गैर-कानूनी नहीं होता है।
हालांकि शर्त बस ये है कि इनकम का कोई न कोई वैध सोर्स होना जरूरी है। अगर आपने यह साबित कर दिया कि घर में रखा हुआ पैसा आपकी सैलरी (Source of salary) या बिजनेस से कमाई गई रकम है या किसी लीगल ट्रांजैक्शन का हिस्सा है, तो आप बेझिझक कितना ही बड़ा अमाउंट हो घर पर रख सकते हैं।
ये है इनकम टैक्स एक्ट
आयकर अधिनियम की धारा 68 से 69B में कैश और संपत्ति से जुड़े नियमों को बनाया गया है। जैसे
Section 68: अगर आपके पासबुक और कैशबुक (Cashbook kya h) में कोई रकम दर्ज है, हालांकि आप उसके सोर्स के बारे में नहीं बता पाते हैं तो इस राशि को अनक्लेम्ड इनकम माना जाता है।
Section 69: अगर आपके पास कैश है या कोई निवेश है, हालांकि आप उसका हिसाब नहीं दे पा रहे हैं, तो उसे अनडिस्क्लोज्ड इनकम माना जाता है।
Section 69B: अगर आपके पास घोषित आय से अधिक संपत्ति (Property rights) या कैश है, हालांकि आप उसका सोर्स नहीं बता पाते हैं तो आप पर टैक्स और पेनाल्टी लगाई जाएगी।
सोर्स नहीं बता पाने पर बढे़गी मुश्किलें
जांच या छापामारी के वक्त अगर आपके घर से भारी मात्रा में कैश (Cash limit at home) बरामद होता है और आप उसका सही हिसाब-किताब नहीं दे पाते हैं तो पूरी रकम अनडिस्क्लोज्ड इनकम या अघोषित आय मानी जाती है। इस स्थिति में आपके ऊपर भारी-भरकम टैक्स लगाया जा सकता है। बता दें कि जब्त की गई राशि (Cash limit rules) का 78 परसेंट तक जुर्माना लग सकता है। अगर विभाग को टैक्स चोरी का शक होता है तो मुकदमा भी चलाया जा सकता है।