केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए जल्द ही बड़ी राहत की खबर मिल सकती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, केंद्र सरकार दिवाली से पहले दो अहम फैसले लेने की तैयारी में है — पहला, महंगाई भत्ता (DA) और महंगाई राहत (DR) में बढ़ोतरी, और दूसरा, 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के टर्म्स ऑफ रेफरेंस (ToR) को मंजूरी।
दिवाली से पहले मिल सकती है खुशखबरी
एनडीटीवी इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार जल्द ही महंगाई भत्ता और राहत में 3% की बढ़ोतरी को हरी झंडी दिखा सकती है। यदि यह फैसला होता है, तो DA/DR मौजूदा 55% से बढ़कर 58% तक पहुंच जाएगा। यह संशोधन 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार लागू किया जाएगा। हालांकि केंद्र ने अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है, लेकिन इस कदम से करीब 1.2 करोड़ केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनभोगी लाभान्वित हो सकते हैं।
टर्म्स ऑफ रेफरेंस से शुरू होगा 8वां वेतन आयोग
सूत्रों के मुताबिक, जैसे ही टर्म्स ऑफ रेफरेंस (ToR) को मंजूरी मिलती है, 8वें वेतन आयोग का औपचारिक गठन हो जाएगा। इसके बाद आयोग विभिन्न हितधारकों से चर्चा कर फिटमेंट फैक्टर, भत्तों और वेतन संशोधन से संबंधित सिफारिशें तैयार करेगा।
DA-DR में देरी से कर्मचारियों में नाराजगी
महंगाई भत्ते में देरी को लेकर कर्मचारियों और पेंशनभोगियों में असंतोष बढ़ता जा रहा है। जानकारी के मुताबिक, कन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लॉयीज़ एंड वर्कर्स (CCGEW) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर इस असंतोष को व्यक्त किया है।
8वें वेतन आयोग की प्रक्रिया
हर दस साल में केंद्र सरकार नया वेतन आयोग गठित करती है ताकि कर्मचारियों के वेतन और पेंशन की समीक्षा की जा सके। आमतौर पर आयोग को अपनी रिपोर्ट तैयार करने में लगभग 18 महीने का समय लगता है, जिसके बाद सरकार समीक्षा कर 3 से 9 महीने में इसे मंजूरी देती है। जनवरी 2025 में केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग को मंजूरी दी थी, लेकिन अभी इसका औपचारिक गठन और ToR जारी होना बाकी है।
फिटमेंट फैक्टर पर अटकलें
ब्रोकरेज हाउस और एक्सपर्ट्स का मानना है कि 8वां वेतन आयोग 1.8 से 2.46 के बीच फिटमेंट फैक्टर की सिफारिश कर सकता है। यह वही गुणांक है जिससे कर्मचारियों के मौजूदा बेसिक पे को गुणा करके नया वेतन तय किया जाता है। हालांकि, ध्यान देने वाली बात यह है कि हर नए वेतन आयोग के लागू होने के बाद महंगाई भत्ता (DA) को 0% से दोबारा शुरू किया जाता है, जिससे प्रारंभिक वेतन वृद्धि सीमित दिखाई देती है।