अक्टूबर के महीने में धान की फसल में इस रोग का संकट हो सकता है क्योकि ये महीना धान की बालियां निकलने का होता है और ये धान की बालियों के बितर दानों को नुकसान पहुंचाने वाला होता है इसलिए धान की फसल में बालियां निकलने के समय कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए जिससे धान की फसल एकदम सुरक्षित रहती है।
धान की फसल पर इस रोग का संकट
धान की खेती भारत में किसान बहुत बड़े स्तर पर करते है धान की बुआई के बाद अब तक किसान फसल को कई रोगों और कीटों से बचा चुके है ऐसे ही किसानों को अब एक और चुनौती का डटके सामना करना है क्योकि इस समय धान की कुछ अगेती किसानों में बालियां आ चुकी है और कुछ में निकल रही है धान की बालियां निकलने के समय धान की फसल में भुंड रोग का बहुत खतरा होता है ये एक कीड़ा जनित रोग है ये रोग सीधा धान की बाली पर अटैक करता है ये बाली के अंदर के दाने को पूरी तरह सुखाकर नष्ट कर देते है जिससे धान की पैदावार में बहुत खराब प्रभाव पड़ता है। इसके लक्षण धान की फसल में कुछ इस प्रकार पीले-नारंगी रंग के फफूंदी जैसे गोल के रूप में दिखाई देते है।

जरा-सी चूंक कर देगी तबाह
धान की फसल में यूरिया का उपयोग फायदेमंद होता है लेकिन इसका अधिक उपयोग करने से भी ये रोग धान की लगता है इसलिए धान की फसल में यूरिया का अधिक प्रयोग नहीं करना है इसके अलावा खेत में भरा पानी बाहर निकाल दें ताकि कीटों की संख्या कम हो सकें। इसलिए कहा जाता है की धान की बुवाई के समय बीजों को उपचारित करना आवश्यक होता है। धान की फसल को इस रोग से बचाने के लिए आप कीटनाशक का उपयोग कर सकते है। पाइमेट्रोज़िन 50% डब्ल्यूजी दवा इस रोग को खत्म करने के के लिए बेहद कारगर होती है। ये कीटों के भोजन करने की क्षमता को खत्म करके उन्हें भूखा मार देता है और कीटो की अंडे देने की प्रक्रिया को भी खत्म कर देता है।
इसका उपयोग करने के लिए उत्पाद के लेबल पर दी गई निर्धारित मात्रा को पढ़कर फिर उपयोग करना उचित होता है।
नोट: इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभवों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। किसी भी जानकारी का उपयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य करें।