औषधीय फसल की खेती में किसानों को अधिक मुनाफा है, तो चलिए जानें छत्तीसगढ़ के किसान इस समय किस फसल की खेती से लाखों की आमदनी ले रहे हैं।
इस औषधीय फसल की खेती में किसान को है मुनाफा
इस समय किसान कई तरह की औषधीय फसलों की खेती करते हैं, जिनमें से एक है पचौली, जो छत्तीसगढ़ के किसानों को मालामाल कर रही है। पचौली की पत्तियों से तेल निकलता है, जिसका इस्तेमाल अगरबत्ती, साबुन, दवाई, परफ्यूम आदि बनाने में किया जाता है। कॉस्मेटिक में भी इसका इस्तेमाल होता है, इसलिए यह महंगा बिकता है।
बताया जाता है कि पचौली का तेल ₹4,000 से ₹6,000 प्रति लीटर बिकता है। एक हेक्टेयर में अगर इसकी खेती किसान करें तो 80 से 120 किलो तेल निकाल सकते हैं। तो इस हिसाब से इसकी खेती में होने वाले मुनाफे का अंदाज़ा लगा सकते हैं। आइए जानते हैं एक एकड़ में इसकी खेती करें तो कितना खर्चा आएगा और कितनी कमाई होगी।
पचौली की खेती कैसे की जाती है
किसान भाइयों, अगर पचौली की खेती की जानकारी नहीं है तो आप ट्रेनिंग भी ले सकते हैं। बता दें कि छत्तीसगढ़ में कृषि विभाग और स्थानीय संस्थानों द्वारा किसानों को पचौली की खेती सिखाई जाती है, जिसमें उन्हें बताया जाता है कि बीज और पौध दोनों से या कलम के द्वारा पचौली की खेती की जा सकती है। 45 सेंटीमीटर की दूरी पर पौधों को लगाया जाता है।
पचौली की खेती के लिए मिट्टी हल्की दोमट बेहतर होती है। पानी निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए, मतलब खेत में पानी रुकना नहीं चाहिए। पचौली की फसल 3 से 4 महीने में तैयार हो जाती है। पत्तियों को सुखाकर उसका तेल निकाला जाता है।

पचौली की खेती में खर्च और कमाई कितनी है
पचौली की खेती में खर्च मुनाफे के हिसाब से ही देखना चाहिए। अगर किसानों के पास जमीन ज़्यादा है, तो एक एकड़ में पचौली की खेती भी कर सकते हैं। इसमें खर्च प्रति एकड़ ₹50,000 से ₹70,000 तक आता है, और कमाई एक साल में किसान ₹2 से ₹3 लाख तक कर सकते हैं। इसकी खेती में एक फायदा यह है कि जिन क्षेत्रों में जंगली जानवर अधिक किसानों को परेशान करते हैं, वहां पचौली की खेती की जा सकती है, क्योंकि जंगली जानवर इसे नहीं खाते हैं।
न ही इसमें कीट प्रकोप होता है, तो स्प्रे आदि का खर्चा बच जाएगा तथा जानवरों से भी फसल सुरक्षित रहेगी। नुकसान नहीं होगा, क्योंकि धान-गेहूं की फसलों को जंगली जानवर अक्सर नुकसान पहुंचा देते हैं।
